आज़ादी एक ऐसा शब्द है, जिसके हर समयकाल और हर जगह के लिए अलग-अलग मतलब हैं। सन् 1947 से पहले अगर कोई आज़ादी का नारा लगाए तो देशभक्त होता था लेकिन अब कोई आज़ादी के नारे लगाए तो, वह देशद्रोही हो जाता है। अगर एक पार्टी काँग्रेस से आज़ादी के नारे लगाए, तो वह देश का भला चाहती है और अगर साधारण जनता आज़ादी के नारे लगाए तो वह देश विरोधी हो जाती है। अब सवाल यह उठता है कि क्या हमें इतनी भी आज़ादी नहीं कि हम...
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