एक तरफ जहां पीरियड्स और महिलाओं से जुड़े अन्य मुद्दों पर चुप्पी टुट रही है, वहीं दूसरी ओर ट्रांस पुरुषों के प्रति जागरुकता की कभी भी देखी जा रही है। समाज को ट्रांस पुरुषों और माहवारी से संबंधित उनकी समस्याओं के प्रति अधिक सहानुभूति व्यक्त करने की ज़रूरत है। भारत में ना सिर्फ माहवारी को एक टैबू समझा जाता है, बल्कि इस विषय पर बहुत ज़्यादा बातचीत भी नहीं होती है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि समाज के कई...
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