झारखंड में जंगल के लगातार कटने से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में बड़ी कंपनियां प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर रही हैं।जिन आदिवासियों की ज़मीन पर खनिज संपदा है, वे विस्थापन का दंश झेल चुके हैं। अब और वे विस्थापित नहीं होना चाहते हैं। झारखंड में पेसा ऐक्ट और समता जजमेंट को लागू नहीं किया गया है। आदिवासी चिंतक सह एडवोकेट सामूएल सोरेन बताते हैं, संताल परगना में कोयला...
↧