समाज ने प्रजनन से जुड़ी बीमारियों को “गुप्त रोग” या “परदे की बीमारी” कह दिया। इसका असर यह पड़ा कि महिलाएं दर्द सहने के बावजूद इसे किसी को बता नहीं पाती हैं। आलम यह होता है कि लगातार इन परेशानियों का सामना करते-करते वे टूट जाती हैं। शहरों में फिर भी दर्द से जूझ रही महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बनी है मगर गाँवों और आदिवासी इलाकों में महिलाएं अस्पताल तक चली भी जाएं, तो वहां महिला डॉक्टर...
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