हमारे समाज में माहवारी या माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की बातें आज भले ही ज़ोर-शोर से हो रही हैं मगर यही बातें कुछ साल पहले सभ्य समाज को चुभती थी, अश्लील बताते थे इन चीज़ों को। आप बेशक मुझे सभ्य समाज का विरोधी कह देंगे मगर दिक्कत इस सभ्य समाज में भी नहीं है, माहवारी से जुड़ी आधी आबादी की समस्याओं को समझकर संवेदनशील हो पाने की उम्मीद हम इस पितृसत्तात्मक समाज से इसलिए भी नहीं कर सकते हैं, क्योंकि इन्हें...
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