जी हां, सही पढ़ा आपने ‘गंगा’ को ज़रूरत है। गंगा को ज़रूरत है उसकी असली संतान की, क्योंकि हम केवल गंगा मैया बोलकर ही रह जाते हैं। माँ और संतान होने मतलब आज हम भूल रहे हैं। काली माता की आरती की एक लाइन याद आती है, “माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता” लेकिन क्या सच में यह नाता आज भी निर्मल है? हमारी गंगा माँ आज अपनी निर्मलता खोती जा रही है। जब हम खुद अपने घर के पूजन की वे सामाग्रियां जो घर...
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