देश की आज़ादी से पहले हम एक थे फिर हम दो हुए और आज सब अलग अलग हो गए। पहले धर्मों में बांटे गए फिर जातियों में और अब उन जातियों में भी हम यह तय करने लगे कि कौन जाति ऊंची है और कौन नीची। सोचिए यदि देश की आज़ादी दिलाने में भी यही लागू किया जाता तो क्या हम कभी आज़ाद हो पाते? क्या हम उस अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात कर पाते जिसका दम हम भरते घूम रहे हैं। भारत देश का नाम विकसित देशों में क्यों नहीं है? यदि इस...
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