मनुष्य, प्रकृति का सहचर या स्वामी”, इस विषय पर मेरे कॉलेज में एक सेमिनार रखा गया था। सेमिनार के लिए कई बड़े विचारकों के साथ स्टूडेंट्स को भी निमंत्रण दिया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत में ही सबको पेड़ बांटे गए थें। उनमें फैंसी पेड़ से लेकर स्टाइलिश वाले गमले और कोई चाइनीज़ पेड़ भी शामिल थे। उस पेड़ की खासियत थी कि वो हमारे गाँवों-गलियों में पाए जाने वाले बेशरम और लथेर की तरह होता है। कितना भी कुछ भी कर...
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