महिलाओं में ‘पीरियड’ या ‘माहवारी’ की प्राकृतिक प्रक्रिया के सम्बन्ध में पुरुषों की समझ अक्सर आधी अधूरी ही रहती है। बाकी आधी समझ अवैज्ञानिक, पूर्वाग्रहों से ग्रसित और शंकाओं के बोझ से लदी होती है। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर समझ किसी एक अवसर या घटना से नहीं बनती है। इसे ठीक से समझने के लिए क्रमबद्ध कई प्रयासों की आवश्यकता होती है। एक पुरुष के नाते इस सन्दर्भ में सही समझ विकसित करने में मुझे भी काफी समय...
↧