प्रकृति ने सभी को समानता के साथ पैदा किया है। प्रकृति महिला और पुरुष में किसी भी प्रकार का भेद नहीं करती है। वह मनुष्यों के बनाए गए अपने नियमों के अंतर्गत एक विशिष्ट संस्कृति का निर्माण करती है लेकिन प्रकृति निर्मित समानता के सिद्धांत का सही से पालन नहीं हो पाता है। विश्व में उन्नत करते समाज और अति पिछड़े समाजों के बीच मौजूद असमानता इसका एक उदाहरण है। भारत के संदर्भ में भी यह देखा जा सकता है कि...
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