माहवारी बचपन हर गम से बेगाना होता है| वह निर्विकार, निष्फिक्र आजाद उम्र जो शायद ही किसी को याद होगी,क्युकी यदि हमारा बचपन जब हमे याद रहने लगे तो समझ लीजिये वह बचपन रहा ही नहीं, सही मायनो में बचपन सिर्फ हमारे पालक को याद रहता है, क्युकी उन्ही ने हमारे बचपन को देखा व् महसूस किया है | बचपन जो सभी प्रकार की चिन्ताओ से मुक्त न कोई सुख की चिन्ता तो न ही किसी गम का डर ,बस खेलना और भाई बहनों के साथ के वोह...
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