लॉकडाउन के दौरान भेदभाव की बहुत सारी खबरें मैंने पढ़ी हैं। उनमें तरह-तरह के भेदभावों का ज़िक्र देखकर मन उदास हो जाता है, क्योंकि मैं दलित समुदाय से आता हूं और एक असुरक्षा की भावना के साथ जी रहा हूं। मुझे याद आता है साल 2012 का एक वाक्या, जब झारखंड के रानेश्वर प्रखंड के बुद्धुडीह गाँव में मुझे दलित होने के कारण सवर्णों ने आठ घंटे तक बाथरुम में बंद कर दिया था। यह वो वक्त था जब हम बंगाल से झारखंड आए...
↧