स्त्री’ कोई साधारण शब्द नहीं है। यह स्वयं में एक ग्रंथ है, एक वेद है, एक महाकाव्य है। ईश्वर ने जब सृष्टि की रचना के बारे में विचार किया होगा, तो उनके मन में प्रथम सवाल यही आया होगा कि ऐसा कौन व्यक्ति संभव होगा जो धैर्यवान भी हो, सहनशील भी और दयालु भी। तब उसकी नज़र में स्त्री ही उसके सम्पूर्ण मापदंडों में खरी उतरी होगी। उसने महसूस किया होगा कि निर्माण की शक्ति यदि किसी में सम्भव है, तो वह एक मात्र...
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