हमें अपने बड़े होते हमउम्र के लड़कों और लड़कियों को एक साथ विद्यालय में साथ बिठाना था, जिससे वे एक दूसरे को समझ सकें। हमें उन्हें साथ बड़ा करना था, जिससे वे अपने शरीर में हार्मोन्स के कारण होने वाले शारीरिक एवं मानसिक बदलावों को एक सरल प्रक्रिया के रूप में समझ सकें। हम अपने बच्चों की परवरिश एवं उनकी शिक्षा-दीक्षा में उसी दिन फेल हो गए थे, जिस दिन हमें अलग से बॉयज स्कूल और गर्ल्स स्कूल खोलने क...
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