हमारा देश क्या पूरा विश्व भेदभाव के वातावरण में पोषित हो रहा है। देश-विदेशों में काले-गोरे का भेदभाव, महिलाओं और पुरुषों का भेदभाव, धर्म का भेदभाव और इसके साथ-साथ सबसे प्राचीनतम हमारे समाज का जातिगत भेदभाव। जातिगत भेदभाव कई सदियों से समाज के कुछ तत्वों के पैर की बेड़ी बना हुआ है। जब बेड़ी युक्त पैर विकास के रास्तों पर चलेंगे तो कहीं ना कहीं जाकर थक जाएंगे। या फिर हार मान लेंगे। कितना अद्भुत लगत...
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