माहवारी एक ऐसा मुद्दा है, जो सदियों से आज तक हमारे समाज में शर्म, झिझक और सामाजिक-धार्मिक रुढियों की चादर में लिपटा हुआ है। हर महीने, हर महिला को (किशोरावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक) 3 से 5 दिनों तक इस प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, बावजूद इसके ज़्यादातर लोग इस विषय में बात करने या अपनी राय जाहिर करने से कतराते हैं। दो साल पूर्व ऑस्कर अवॉर्ड विनिंग फिल्म पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस क...
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