इस अफलातूनी ‘ओ’ यानी ओर्गाज़्म को ढूंढने का जादुई सफर कैसा होता है? क्या अपने ओर्गाज़्म को ढूंढते हुए हरमाईनी दिल-ओ-बदन को हिला देने वाले उस एहसास को महसूस कर पाएगी? या फिर जितना सुख मिल रहा है, उस के मज़े लेकर, उस बड़े धमाकेदार अंदाज़ वाले उन्माद की तलाश छोड़ देगी? वो, शायद थोड़ा ये भी करेगी, थोड़ा वो भी करेगी। दोस्तों के मामले में, मैं हमेशा ही काफी लकी रही हूं। चाहे स्कूल हो या कॉलेज अपने दिल की बात...
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