पीरियड् (माहवारी) एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर महिलाएं भी खुलकर बात करने से झिझकती हैं। हालांकि, बदलते परिवेश ने महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं के खिलाफ बोलने की बुलंदी प्रदान की है, मगर धरातल पर बदलाव बेहद कम ही देखने को मिलते हैं। भले ही शहरों में महिलाएं बेबाकी से बोलने की हिम्मत जुटा भी लें, मगर गाँवों में महिलाएं घूंघट से ही घिरी रहती हैं इसलिए उनके लिए अपनी परेशानियों को बांटन...
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