जब मैंने अकेले रहना शुरू किया, तो जो कुछ चीज़ें मैंने पहली बार कीं, उनमें से एक थी- थेरेपी। इतने टाइम फेमिली के साथ रही थी यानि सौ ज़िम्मेदारियां थीं। एक पैरेंट के विकलांग होने का बोझ अलग! इन सबके बीच, खुद के बारे में सोचने का टाइम ही कहां था। मेरे थेरेपिस्ट ने मुझे सेफ फील कराया और सदमे से बाहर आने में मेरी हेल्प की। मुझे खुद को बेहतर ढंग से समझने का मौका भी दिया। मैंने उसे अपने वैजाइनिस्मस...
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