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Channel: Campaign – Youth Ki Awaaz
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“माहवारी के नाम पर आज भी पहाड़ी किशोरियों को सामाजिक रूढ़ियों ने जकड़ रखा है”

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मंजू ढपोला, कपकोट, बागेश्वर उत्तराखंड। डिजिटल दुनिया, हज़ारों तकनीक विकसित देश इस 21वीं सदी की खासियत हैं। यह सब इतनी उपलब्धियां पाने के बाद भी आज लोगों के जहन से हम माहवारी के विषय में व्याप्त पुरानी रूढ़ियों की अवधारणाएं नहीं मिटा सके। अब भी लोगों के द्वारा सामान्य शारीरिक प्रक्रियाओं को सामाजिक रूढ़ियों की अवधारणाओं के चलते एक अछूत शब्द से व्यक्त किया जाता है। इस भारत देश में कई योजनाएं चलाई गई...

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