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इरा विकलांग हैं इसलिए IAS बनने नहीं दिया जा रहा था, मगर उन्होंने हार नहीं मानी

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"इरा की विकलांगता से यूपीएससी तक के संघर्ष की कहानी"

लोग अक्सर कहते हैं कि पर कटे परिंदे कहां उड़ान भरते हैं,
अब उन्हें भला कौन समझाए कि वो जमीनी हकीकत से लड़ कर अपने हौसलों में जान भरते हैं।

अट्ठारह सौ सत्तावन कि विद्रोह का उद्गम स्थल रहा मेरठ उत्तर प्रदेश लेकिन 1857 के विद्रोह की धधकती ज़्वाला से भी कई गुना तेज और चमक लिए 31 अगस्त 1983 को मेरठ उत्तर प्रदेश में जन्म हुआ इरा सिंघल का उस वक्त किसी को भनक भी ना थी 1 दिन ये नन्ही सी जान इतिहास रचने वाली है यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2014 में टॉप करने वाली इरा सिंघल वो विकलांग लड़की, जिसने अपने हिम्मत और जज्बे के सामने उनके जीवन में आने वाली सारी कठिनाइयों को उनके सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया।

कौन हैं इरा सिंघल?

इरा सिंघल का पूरा जीवन किसी चमत्कार से कम नहीं लगता इरा रीड की वक्रता से पीड़ित है जिसे स्कोलियोसिस भी कहा जाता है लेकिन उन्होंने अपनी विकलांगता को कभी भी अपने सपनों के मार्ग में बाधा बनने का अवसर नहीं दिया, इरा ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह महज 7 से 8 साल की थी और मेरठ में रहती थी, तो वहां होने वाले दंगों के कारण कर्फ्यू लगा रहता था और वो एक बात हमेशा ध्यान से सुना करती थी कि डीएम ही कर्फ्यू लगाते हैं, तब उन्हें डीएम की शक्ति और ज़िम्मेदारियों के बारे में जानकारी मिली और तभी उन्होंने मन ही मन  ठान लिया कि आगे चलकर वह भी डीएम बनेंगी।

शुरुआती पढ़ाई मेरठ में हुई उसके बाद उन्होंने दिल्ली के नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन की डिग्री और फैकेल्टी आफ मैनेजमेंट स्टडीज से एमबीए की डिग्री हासिल की। उन्होंने एक बड़ी कन्फेक्शनरी फॉर्म में स्ट्रेटजी मैनेजर के रूप में कार्य किया, इरा  का कहना था कि वह अपनी इस जॉब में खुश तो थी किंतु संतुष्ट नहीं, उनका कहना था कि मुझे जॉब से पैसे तो मिलते थे पर इससे किसी की ज़िंदगी में कोई बदलाव नहीं आया यह बातें उन्हें असंतुष्ट करती थी, इसके बाद उन्होंने अपने बचपन के सपने को साकार करने की ठानी और यूपीएससी की तैयारी में लग गई लेकिन वह कहते हैं ना कि अगर आप किसी बड़े बदलाव की सोचते हैं तो उतनी ही बड़ी चुनौती आपका इंतज़ार कर रही होती है।

विकलांगता की वजह से जब पोस्टिंग नहीं मिली

कुछ ऐसा ही हुआ इरा के साथ तीन बार यूपी में सिलेक्शन होने के बाद भी उन्हें उनके मन के पोस्ट से वंचित कर दिया गया। साल 2010,2011 और 2013 में यूपीएससी परीक्षा दी थी उन्होंने इन तीनों  अटेम्प्ट में उन्हें आईआरएस की पोस्टिंग दी गई किंतु उनकी विकलांगता के कारण उन्हें उनकी पोस्ट से वंचित रखा गया, जिसके बाद इरा ने आयोग के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में मुकदमा दायर किया यहां भी उन्हें बहुत धैर्य और संघर्ष करना पड़ा।

इरा ने साल 2014 में अपना केस जीता और आईआरएस के लिए चयनित हो गई लेकिन उन्होंने अपनी रैंक में सुधार करने का प्रयास जारी रखा केस का यह फैसला उनके 2014 की मेंन्स परीक्षा से पहले आया था इरा सिंघल ने 2014 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की सामान्य श्रेणी में टॉप कर इतिहास रच दिया वह पहली ऐसी विकलांग थी जिन्होंने सामान्य श्रेणी में परीक्षा दे टॉप किया और उन्होंने सभी को अपने सामने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। 

उनके इस पूरी संघर्षों के बीच साफ तौर पर बयां किया जा सकता है कि अपना मूल्य समझे और विश्वास करें कि आप संसार के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं अपने शब्दों के अंततः मै केवल इतना कहना चाहती हूं कि कुचल कर सैकड़ों राहे विपदा उन्होंने सिस्टम हिला डाला सबक मिला हमें की, लड़ना पड़ता है यूं ही नहीं पड़ती, गले में जीत की माला। 


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