

उसको भी जीने का हक था,
जिसके आने से पहले ही कर दी विदाई।
उसकी तो कोई गलती नहीं थी,
जो इस संसार को ही न देख पाई।
उसने भी पाए थे मां-बाप और भाई,
मगर इस संसार में ही वो न आ पाई।
तुम्हारी तरह उसे भी भेजा था ईश्वर ने,
फिर क्यों तुम ने उस से पीछा छुड़ाई।
जब सामने तुम्हारे थी वो आई,
इसलिए उसकी कर दी दुनिया से विदाई!
यह कविता उत्तराखंड स्थित बागेश्वर जिला के गरुड़ से कुमारी तान्या ने चरखा फीचर के लिए लिखा है।