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“तम्बाकू से मुक्ति की राह सहयोग और समर्थन से गुजरती है”

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क्या आप धूम्रपान से होने वाली क्षति से परिचित हैं? जिस तरह से तम्बाकू सेवन के गंभीर परिणाम आए दिन देखने को मिल रहे हैं, एक अनदेखा खतरा सामने खड़ा है। आपको मालूम हो कि गुजरात के राजकोट में एक व्यक्ति को धूम्रपान के बाद अपनी आवाज से हाथ धोना पड़ा था। सिगरेट का एक कश लगाते ही युवक की चली गई थी आवाज। वह गूंगेपन का शिकार हो गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित इलाज के लिए गुजरात के राजकोट के अस्पताल में भर्ती है। एक अन्य महत्वपूर्ण रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि जापान में, एक 61 वर्षीय सरकारी कर्मचारी पर 1.44 लाख येन (करीब 8 लाख रुपये) का जुर्माना लगाया गया। ये शख्स ऑफिस में स्मोकिंग करते पकड़ा गया था। कर्मचारी ने साढ़े 14 साल तक ऑफिस में काम के दौरान कुल 4,512 बार धूम्रपान किया। ओसाका शहर में भी सरकार ने तीन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की। 

सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान से होता है जुर्माना

देश में सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने पर लोगों को भारी जुर्माने का सामना करना पड़ता हैं। लेकिन इसके बाद भी लोग सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करना बंद नहीं कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने के मामले में गुजरात एवम राजस्थान आगे थे।हालांकि तंबाकू उत्पाद के सेवन पर कोटपा (सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट) अधिनियम के तहत की गई कार्रवाई के चलते पिछले साल देश भर में 4 करोड़ 34 लाख 79 हजार रुपये का जुर्माना लोगों से वसूले गए। सरकारें रोकथाम को लेकर सजग हैं। कुछ साल पहले राजस्थान सरकार ने शिक्षकों के स्कूलों में धूम्रपान को रोक लगाई थी। इस पर गाइडलान भी जारी किया गया था।

पैसिव धूम्रपान के खतरे

तम्बाकू एवम जुड़े पदार्थो को लेकर सजग होना सेहतमंद समाज की पहचान है। सिगरेट का धुआं किडनी से लेकर कान तक को असर करता है। धूम्रपान खतरनाक होता है लेकिन अगर कोई सिगरेट पी रहा है और वहां आसपास आप खड़ा है तो भी इसका धुआं आपकी सेहत को तबाह कर सकता है। अंग्रेजी में इसे पैसिव धूम्रपान कहते हैं। पान बीड़ी एवम सिगरेट की दुकानों पर मुझे ऐसा ही एक अनुभव हुआ। चाय की टपरी पर भी लोग कश लगाते दिखे। मैंने नोट किया कि चाय पानी के ठिकानों पर सिगरेट भी आसानी से मिल जा रहा है। पनवाड़ी के पास कुछ वक्त गुजारा तो समझ आया कि जाने-अनजाने स्नैक्स खरीदने आया शख्स भी उस दायरे में आ जाता है। टॉफी चाकलेट खरीदने के लिए छोटे बच्चे भी ऐसे आउटलेट पर पहुंचते हैं। पनवाड़ी की छोटी सी दुकान को मैंने सभी हल्की-फुल्की चीजों का फ्यूजन पाया। गजब का मेल पाया यहां। मतलब ग्राहकों का पूरा अंदाज़ा इन पॉइंट ऑफ सेल्स को होता है। आपको यहां पानी की बोतल भी मिल जाती है। स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक्स भी मिल जाते हैं। बच्चों को रिझाने वाले फूड आइटम मिल जाते हैं। शायद यही वजह थी कि हर उम्र के ग्राहकों को यहां आते देखा। बड़ो को बच्चों के साथ आते देखा। बच्चों को बड़ों के साथ आते देखा। छोटे-मोटे सामान बच्चे खुद से ले जाते दिखे। मोहल्ले की पनवाड़ी से ज़रा आगे बढ़ा तो चाय की चुस्की पर जा ठहरा। चाय की दुकान भी आजकल सामानों का मेल रखती हैं।

आसानी से बिक रही है सिगरेट

चाय के साथ कश लगाने का अलग ही फैशन है। बड़े बड़े मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वालों को वहां आस पास चाय की दुकानों पर इसी लाइफस्टाइल में देखा। एलिट वर्ग से लेकर आम सामान्य वर्ग को किसी ना किसी तरह के तम्बाकू के लत के शिकार पाया। फर्क केवल इस्तेमाल के आवरण का था। सार्वजनिक स्थानों पर तम्बाकू का सेवन करते देखे जाने पर दंड का प्रावधान है। रेलवे स्टेशन के अंदर कोई सिगरेट नहीं दिखी मगर बाहर निकलते ही दुकानों की लाइन मिली। ग्राहकों की भीड़ जगह के अनुसार उमड़ती देखी। निजी कम्पनियों के विज्ञापनों पर रोक की बात नहीं समझ आई। क्योंकि प्रसार शायद यह मान कर किया जा रहा कि समझदारों को फर्क नहीं पड़ेगा। पढ़े लिखे को फर्क नहीं पड़ेगा। हमारी टारगेट ऑडियंस कुछ और है।

तम्बाकू के उत्पादों पर पूरी तरह रोक लगाना मुमकिन नहीं

बीड़ी सिगरेट आज आसानी से मिल जाते हैं। तम्बाकू एवम अन्य प्रोडक्ट्स के बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाना मुमकिन नहीं नजर आता। बाजार एक प्लेयर है। दिल्ली में गुटखा की बिक्री पर पाबंदी है। सरकारों द्वारा लगाई रोक जनसहयोग के बगैर सफल नहीं हो सकती। सहयोग एवम समर्थन के साथ चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। तम्बाकू से मुक्ति की राह में कई चुनौतियां हैं। मिडिया द्वारा निर्मित छवियों का रोल नजर आता है। मिडिया प्रचार प्रसार का बड़ा माध्यम है। विज्ञापन के दम पे मिडिया हाउसेज चलते हैं। विज्ञापनों के चयन में लेकिन सावधानी तो बरती ही जा सकती है। मिडिया का चयन दर्शक को भी विवेक से करना चाहिए। 

हम सभी को यह ठीक से समझ लेना चाहिए कि धूम्रपान स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित करता है। इससे हमारा मानसिक स्वास्थय बुरी तरह प्रभावित होता है। WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्मोकिंग की वजह से हर दिन करीब 14 हजार लोग अपनी जान गंवा देते हैं। सिर्फ सिगरेट पीने से ही नहीं बल्कि सिगरेट पीने वाले के आसपास खड़े रहने वालों को भी इससे नुकसान पहुंचता है। पैसिव धुम्रपान इसे कहते हैं। सिगरेट, बीड़ी या सिगार आज हमारे घरों के ड्राइंग रूम तक पहुंच गई है। सचेत हो जाना बेहतर है। क्योंकि सिगरेट के धुआं जहरीले तत्वों के संपर्क में आकर केमिकल रिएक्शन कर सेहत पर विपरीत असर डाल सकता है। ना पीकर पर भी सिगरेट के धुएं के सम्पर्क में आने का असर गर्भवती महिलाओं पर काफी होता है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को भी नुकसान पहुंचता है। यह भी जान लें कि यदि आप धूम्रपान करते हैं तो आप कई तरह के रसायन छोड़ते हैं।जो बदले में कई बीमारियों को जन्म देती है। कैंसर जैसा रोग सामने आता है।

धूम्रपान से फेफड़ों के कैंसर होने की बात सबसे पहले 27 जून1957 को लंदन में पता चली थी। ब्रिटेन की मेडिकल रिसर्च काउंसिल ने 25 वर्ष के शोध के आधार पर एक रिपोर्ट जारी कर यह बात बताई थी। स्वास्थ्य की जागरुकता को लेकर ऐसी तमाम रिपोर्ट्स आपको मिल जाएगी। किंतु असर हम आप निर्धारित करते हैं। बदलाव हमें लाना होगा। जिंदगी को सबके लिए दुआ बनाना बड़ी बात नहीं है। छोटे बदलाव निर्णायक होते हैं।


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