Quantcast
Channel: Campaign – Youth Ki Awaaz
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3094

भारत में समलैंगिक विवाह!! दिमाग तो ठीक है ना तुम्हारा?

$
0
0

भारत में विवाह के मुद्दे पर काफी कुछ कहा जा चुका है- इस सामाजिक व्यवस्था की जड़ों में मौजूद सदियों पुराना सेक्सिस्म यानी कि लैंगिक भेदभाव हो या इसमें मौजूद नारीवाद की अपार संभावनाएं। लेकिन इस सामाजिक व्यवस्था का क्वीयर समुदाय (होमोसेक्शुअल, बाईसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, एसेक्शुअल+) पर क्या असर होता है, इस विषय पर ना ज़्यादा सोचा गया और ना ही ज़्यादा कुछ कहा गया है।

इस जटिल मुद्दे को वाईसलैंड की एक डोक्युमेंट्री सीरीज ‘गेकेशन’ में समझाने की कोशिश की गयी है। इस सीरीज में हॉलीवुड अदाकारा एलेन पेज और उनके दोस्त इयान डेनियल ने दुनिया की अलग-अलग जगहों पर क्वीयर कल्चर को दिखाया है और उसे समझाने का प्रयास किया है।

पिछले साल सितम्बर में ‘गेकेशन’ की टीम भारत आई। भारत में क्वीयर समुदाय की सामाजिक स्थिति को समझने की कवायद में उन्होंने पाया कि कैसे पूर्वी अध्यात्म और कोलोनियल (औपनिवेशिक) इतिहास के दोहरे पैमानों से भारत का क्वीयर समुदाय संघर्ष कर रहा है। पेज और डेनियल के भारतीय क्वीयर समुदाय के कुछ लोगों के साथ हुए अनुभवों को देखने के बाद ये चार चीज़ें सामने आई।

विवाह एक सामाजिक बाध्यता है

क्वीयर राइट्स एक्टिविस्ट हरीश अय्यर के साथ कुछ समय बिताने के बाद पेज और डेनियल को विवाह और भारत में क्वीयर होने के बीच के जटिल सम्बन्ध की एक झलक मिली। 2015 में हरीश की माँ पद्मा ने जब अपने बेटे के लिए समलैंगिक शादी का एक विज्ञापन दिया तो इस पर काफी लोगों की भौंहें तन गयी। विज्ञापन कुछ इस तरह था: “NGO में काम करने वाले मेरे 36 साल के बेटे के लिए 25 से 40 साल के अच्छी तनख्वाह पाने वाले, जानवरों से प्रेम करने वाले और शाकाहारी दूल्हे की तलाश है।”

लगभग सभी बड़े अखबारों ने उनके इस विज्ञापन को छापने से इंकार कर दिया था, लेकिन अंत में हिन्दुस्तान टाइम्स अखबार उनके इस विज्ञापन को छापने के लिए राजी हुआ। उस देश में जहां सामान सेक्स के लोगों के बीच संभोग गैर कानूनी हो और सामान सेक्स में शादी की कल्पना करना भी संभव ना हो, वहां इस तरह के कदम का महत्व अपने आप में बढ़ जाता है।

अय्यर से मुलाक़ात के बाद जो पेज और डेनियल ने इसके अलावा जो जाना वह बिलकुल अलग था कि- भारत में विवाह करना एक ऐसी चीज़ है जिसकी आपसे हमेशा उम्मीद की जाती है, चाहे आप समलैंगिक हों या ना हों।

अय्यर के सेक्सुअल रुझान से परे उनके माता-पिता उनसे उन सभी कर्तव्यों को निभाने की उम्मीद रखते हैं जिसकी भारत में एक पुरुष से उम्मीद की जाती है। और वो है विवाह करना और घर गृहस्थी बसाना। निश्चित रूप से हर किसी को अपनी पसंद के जीवनसाथी को चुनने का अधिकार है लेकिन क्या विवाह दो लोगों के बीच बराबरी लेकर आता है?

विवाह एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था जो क्वीयर महिलाओं के लिए ज़्यादा द्वेषपूर्ण है

जहाँ अय्यर की कहानी उन्हें स्वीकार किये जाने की है वहीं भारत में बहुत से क्वीयर इतने खुशकिस्मत नहीं हैं। खासतौर पर जब आप एक क्वीयर महिला हों तो मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। भारत में इस सीरीज को कवर करते हुए पेज का यही सवाल था कि क्वीयर महिलाएं कहाँ हैं? और जो पहला महिला क्वीयर कपल इन्हें मिला उसने अपनी पहचान ज़ाहिर नहीं की।

जब वो एक दुसरे का हाथ पकड़े हुए कैमरे के सामने आए तो उनके चेहरे ढके हुए थे। उनके संबंधों के सख्त खिलाफ उनके परिवारों से दूर क्वीयर समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाली मुंबई की एक संस्था ‘उमंग’ ने उन्हें एक सुरक्षित जगह मुहैय्या करवाई थी। उनके पास ना तो उनकी पहचान से जुड़े कोई काग़ज़ात थे और ना ही किसी से संपर्क करने के लिए कोई मोबाइल। पुलिस उनका पीछा कर रही थी केवल इसलिए क्यूंकि उनके परिवारों को लगता है इ उनका उनका रिश्ता सामाजिक लिहाज़ से सही नहीं है।

हमारे लिए इन दो लड़कियों ने कुछ गलत नहीं किया है। लेकिन भारतीय समाज के द्वारा बनाई गयी विवाह की व्यवस्था को इनका संबंध बड़े स्तर पर चुनौती देता है। दो समलैंगिक महिलाओं का यह संबंध सीधे तौर पर विवाह से जुड़ी दहेज़, लिंग के आधार पर काम के बंटवारे, महिलाओं के सेक्शुअल प्लेज़र और उनके जन्म देने की क्षमता के पारंपरिक तरीकों को ध्वस्त करता है। और जब समान सेक्स के बीच का यह प्रेम, समाज की मूल व्यवस्थाओं के लिए ही खतरा बन जाता है तो उसे सजा दिया जाना तय कर दिया जाता है।

बहुत से क्वीयर लोग समझौता करने के लिए मजबूर हैं

एक और निराश करने वाली कहानी सामने आती है, जब एक लड़की डेनियल से मिलती है। यह लड़की अपना नाम नहीं बताती है और कैमरे के सामने अपना चेहरा ढक कर आती है। इसका कारण वह अपनी पार्टनर के परिवार को बताती है। बहुत से अन्य कई भारतीय माता-पिता की तरह वो भी इस बात को, उनके रिश्ते को नहीं समझ पाएंगे।

यहां भी विवाह की व्यवस्था की इनके रिश्ते को एक काली परछाई की तरह घेर लेती है। ना केवल इस लड़की को अपने रिश्ते को छुपाना पड़ता है बल्कि वो इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ है कि हर दिन के साथ इनका रिश्ता एक अनचाहे अंत की और बढ़ रहा है।

पेज और डेनियल से बात करते हुए वो कहती हैं, “जब उसकी (उनकी पार्टनर की) शादी होगी तो मैं उसके साथ मौजूद हूंगी और शादी की तैयारियों में ना चाहते हुए भी मदद कर रही हूंगी। काफी हद तक उसे अपने हाथों ही किसी और को सौंप रही हूंगी।”

लेकिन उम्मीद अभी भी बाकी है

‘गेकेशन’ के आखिरी एपिसोड में जो कपल दिखता है वो एक ट्रांस पुरुष रजत और एक महिला लक्ष्मी का है। रजत और लक्ष्मी को उनके परिवार ने जैसे प्रताड़ित किया है वो सोचकर भी डर लगता है। रजत बताते हैं कि उन्हें नशीली दवाएं देकर जंजीरों से बांधकर बिजली के झटके दिए जाते थे। लक्ष्मी बताती हैं कि उन्हें रजत से मिलने की सख्त मनाही थी और जब वो दोनों घर छोड़कर भाग गए तो उन्हें लगातार उनके परिवार से जान से मार देने की धमकियां मिलति रहती थी। लेकिन फिर भी इस जोड़े से इन सभी परेशानियों को पीछे छोड़ते हुए अपने शहर से दूर एक जगह तलाश की जहां वो एक नए सिरे से अपनी ज़िंदगी की शुरुआत कर सकें।

अगर ट्रांसजेंडर समुदाय की बात करें तो फिर भी कानून इनके लिए तुलनात्मक रूप से बेहतर है। रजत कानूनी तौर पर लिंग परिवर्तन (सेक्स चेंज) करवाने और अपना नाम बदलने के बाद अब लक्ष्मी के साथ अपनी ज़िंदगी बिता सकते हैं जिससे वो प्रेम करते हैं। शायद ये कुछ गिनीचुनी, उन घटनाओं में से एक है जहां क्वीयर होने को विवाह की सामाजिक व्यवस्था से सकारात्मक रूप से मदद मिली है।

‘गेकेशन’ के एपिसोड में ये कहानी साफ़ तौर पर क्वीयर समुदाय की अच्छे अंत वाली कहानियों की कमी की और इशारा करती है। जहां किसी भी प्रेम कहानी का अंत इस कहानी की तरह ही सुखद होना चाहिये, ऐसे में इन कहानियों की बेहद कम तादात चिंता की बात है।

क्वीयर लोगों को जानबूझ कर वो अधिकार नहीं दिए जाते जो विवाह के बाद उन्हें मिलने चाहिए। अमेरिका में भी समान सेक्स से विवाह और उसके बाद मिलने वाले अधिकारों की बराबरी एक बड़ा मुद्दा थे लेकिन वहां ये हुआ, इसलिए अमेरिका से इतने दूर भारत में भी इसका महत्व है।

यह सोचने वाली बात है कि क्या भारतीय क्वीयर समुदाय के लिए शादी करना ही अंतिम लक्ष्य है? क्या विवाह ही क्वीयर होने की वैधानिकता का पैमाना होना चाहिए, विवाह एक ऐसी व्यवस्था जिस पर हमेशा से स्ट्रेट (जो क्वीयर नहीं हैं) समुदाय का ही एकाधिकार रहा है।

अनुवाद : सिद्धार्थ भट्ट 
अंग्रेज़ी में यह लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। 

The post भारत में समलैंगिक विवाह!! दिमाग तो ठीक है ना तुम्हारा? appeared first and originally on Youth Ki Awaaz, an award-winning online platform that serves as the hub of thoughtful opinions and reportage on the world's most pressing issues, as witnessed by the current generation. Follow us on Facebook and Twitter to find out more.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3094

Trending Articles