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जब पीरियड्स आएं तो समझी कि मर्दानगी क्यूं आज़ाद है और हम क्यूं कैद

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सभी का बचपन एक जैसा नहीं होता, लेकिन कुछ अनुभव सभी के बचपन मे एक जैसे ही क्यों हो जाते हैं? लगता था कि इमोशनल हरासमेंट जैसा मेरे साथ कभी कुछ हुआ ही नहीं है। जब मां ने पहली बार पीरियड्स होने पर अफ़सोस जताया था तो वो बात भी मामूली सी ही लगी थी। हर महीने कुछ दिनों के लिए घृणा सहने की आदत हो चुकी थी। फिर पता चला कि पीरियड्स के बारे में आप किसी और से तो क्या अपनी मां से भी खुलकर बात नहीं कर सकते।

स्कूल में किसी को आपके चलने के ढंग से या फिर आपके टॉयलेट इस्तेमाल ना करने पर शक नहीं होना चाहिए कि आपके पीरियड्स शुरु हो चुके हैं। अगर कोई अंदाज़ा लगाकर पूछ भी लेता तो हमारा काम अंजान बनकर ये पूछना होता था कि, “ये पीरियड्स क्या होते हैं?”

बाहरी दुनिया और अंतरमन के बीच मानो जंग सी छिड़ गई थी। दिल दिमाग को गवारा नहीं था कि वो इस परिवर्तन को अपनाए। हमारा अहंकार कहीं ना कहीं बढ़ता ही चला गया क्योंकि ‘सलाह’ नाम का शब्द तो मानो किसी स्त्री के लिए था ही नहीं। ना जाने कितनी ही बातें आंसुओं से भीगे चेहरे और फफकते होठों ने मन ही मन मसल दी थी। मैं उस समय क्यूं नहीं बोल पाई थी? मुझे लगता था कि यही असल तरीका है एक लड़की से युवती बनने का। लेकिन युवती तो मैं बाहरी दुनिया के लिए थी, असल ज़िन्दगी में तो मैं बस एक नई, त्यागी हुई, परिवर्तन से गुज़रती हुई, एक उम्र भर थी।

शायद उस समय मेरी कोई कॉउंसलिंग कर देता, तो आज मैं अपने विचारों के प्रति स्पष्ट हो पाती। बेझिझक जिज्ञासा को दुविधा से निकालने की कोशिश करना वो भी जब ये एक युवती के शरीर से जुड़ी हुई हो, समाज क्या परिवार भी ऐसा नहीं कर पाता। फिर जब पता चला कि सिर्फ लड़कियां ही इस मोड़ से गुज़रती हैं तब मुझे इस सवाल का जवाब मिल चुका था कि, “मर्दानगी क्यूं आज़ाद है और हम क्यूं कैद हैं?”

चौदह वर्ष की वो लड़की यानी कि मैं, सवालो से घिरी हुई अपनी बायोलॉजी की किताब में जवाब ढूंढने लगी लेकिन उसमें भी सब कुछ धुंधला ही था। कारण था कि जिन शिक्षकों का काम हमें समझाना था वो तो सिर्फ कोर्स पूरा करने के लिए उस विषय और हमारे व्यक्तित्व पर मिट्टी डाले जा रहे थे।

शुरुआत वहीं से होती है और अंत भी वहीं। एक वयस्क बनने की उम्र ही तय करती है कि हम अपने जीवन में आने वाली चीज़ों को कितनी खुली आंखों से अपनाते हैं। आज आपके आस-पास कोई चौदह वर्ष की लड़की हो तो आप उसके सवालों के जवाब ज़रूर दीजियेगा। हमने तो रिसर्च करके जान लिया कि “हम कैद में तो हैं लेकिन कमज़ोर नहीं हैं।” पर उनका क्या जो वर्तमान में भी हमारे भूतकाल से गुज़र रहे हैं?

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