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इन लड़कियों ने पढ़ने की ज़िद की और अपनी ज़िंदगी बदल ली

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चलिये आज मिलते है हुड़ों की ढाणी मे गुड्डी से जो हमें बताएगी कैसा सफर रहा उसका और उसके दोस्तों का कक्षा 10वीं की पढ़ाई का!

नमस्ते “मेरा नाम गुड्डी है, मैं कक्षा 10वीं में पढ़ती हूं और मैं एसएस नगर की एक ढाणी मे रहती हूं जिसका नाम है “हुड़ों की ढाणी”।
आज ये सुनकर सबको अच्छा लगता है कि हम ढाणी की बच्चियां 10वीं कक्षा में पढ़ती हैं पर एक सफर ऐसा रहा हमारे लिए जो कोई नहीं जानता। तो आज मैं, मेरे उस सफर का ही ज़िक्र कर रही हूं।

हमारी ढाणी गाँव के स्कूल से कम से कम 4 किलोमीटर की दूरी पर है और हवेली स्कूल चौराहे से कम से कम 8 किलोमीटर की दूरी पर है। तो ढाणी से हवेली स्कूल के लिए हम सबको 11-12 किलोमीटर की दूरी तय करके स्कूल जाना होता है। ढाणी का रास्ता भी सुनसान है जब हम स्कूल जाते हैं तो हमारे ट्यूबवेलों, खेतों, काटों के रास्तों को पार करके जाना होता है। सर्दियों मे तो फिर भी इतनी परेशानी नहीं होती पर गर्मियों मे तो हालत ही खराब हो जाती है। अभी आधे रास्ते तक कच्ची सड़क भी बनी है। लेकिन कोई गाड़ी की सुविधा नहीं है और हमारे परिवार में भी गाड़ी या कोई अन्य साधन नहीं है जिससे कि हमें सहायता मिल सके।

अपने स्कूल यूनिफॉर्म में गुड्डी

एक समय ऐसा आया था कि जब मैं 8वीं में पढ़ती थी तब मुझे मेरे पढ़ाई से रोका जाने लगा वो भी इस दूरी के कारण पर मुझे अपनी पढ़ाई बीच मे छोड़नी नहीं थी। तो समझ नहीं आया कि अब मैं क्या करूं हमारी ढाणी में तो सारी बच्चियां 8वीं तक ही पढ़ती हैं। 2-3 दिन तक मुझे चिंता सताती रही कि अब मैं करूं तो क्या करूं! तो हम एक ही कक्षा मे पढ़ने वाली 4-5 लड़कियों का ग्रुप था सभी को एक ही डर था कि अब हमारी पढ़ाई बंद हो जाएगी!

हम सबने एक दिन अपनी एसएम दीदी (करुणा) से बात करने का सोचा। उस दिन हमने अपनी एसएम दीदी से बात की और उन्हें बताया कि हमें अब डर है कि हमारी पढ़ाई अब बंद हो जाएगी क्योंकि घरवालों को डर है हमारी सुरक्षा का तो दीदी हम अपनी पढ़ाई बंद नहीं करना चाहते, तो दीदी ने कहा कि 2 दिन बाद अभिभावक मीटिंग है तो यह मीटिंग आपकी ढाणी मे रखते हैं और इस मुद्दे पर बात करते हैं।

उस दिन छुट्टी के समय में, संतोष, गीता, छोटा, शिमला घर जा रहे थे तब हमने चलते-चलते कहा कि हमने आज तक जीवन कौशल के इतने सेशन लिए हैं जैसे: समहू बनाना, निर्णय लेना, समस्याओं का समाधान करना आदि तो क्यों नहीं हम एकसाथ मिलकर घरों में बात करें! शिमला व संतोष ने कहा कि हम एकसाथ मिलकर अपने घरो में बात करते हैं। घर पर बात करने से पहले हमने अपने ग्रुप में बात की हम सबने कहा अगर हमारे घर वाले बात नहीं माने और पढ़ाई छुड़वा दी तब तो और लड़कियों की तरह हमारी भी जल्दी शादी करवा देंगे ओर फिर हम हमारे लक्ष्य तक भी नहीं पहुंच पाएंगे ऐसे हम पढ़ाई छोड़ देंगे डर कर तो आज तक के जीवन कौशल का क्या महत्व रह जाएगा? तो हमे डरना नहीं है बल्कि घर वालों से बात करके समस्या का समाधान निकालना है।

तब हम सब मिलकर सभी के घर गएं, हमारी बात सुनी गई पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया गया तब हम सबने आपस में कहा कि अभिभावक मीटिंग वाले दिन वापस बात करेंगे। उसी दिन रात को मैंने अपने माता–पिता से बात की और बताया कि मुझे अपनी पढ़ाई नहीं छोड़नी है। मुझे अपना लक्ष्य प्राप्त करना है, तब पापा बोले कि इतनी दूरी है, रास्ता भी सही नहीं है तो बेटा अब 8वीं तक ही पढ़ना सही है औरअपनी ढाणी की लड़कियां इतनी तक ही पढ़ती हैं। मैंने उस दिन कहा कि आज तक हम इतनी दूरी से और इसी रास्ते से जाते आ रहे हैं और मैं कोई अकेली लड़की नहीं हूं मेरी और भी सहेलियां साथ जाती हैं। इतने पर भी उस रात को बात नहीं बनी तो मैंने सोचा चल गुड्डी आज तो सो जाते हैं कल नये दिन में नई बात करेंगे।

अपने गाँव की महिला से बात करती स्कूल जाने वाली लड़कियां

दूसरे दिन अभिभावक मीटिंग थी तो हमने स्कूल की छुट्टी कर ली थी क्योंकि हम सबको अपनी बात रखने का मौका जो मिलने वाला था। मीटिंग शुरू किया दीदी ने और कहा कि अब बच्चियां कक्षा 8 उत्तीर्ण होने वाली हैं और कक्षा 9वीं में प्रवेश लेने वाली हैं। हमारे घर वालों ने मना कर दिया तो दीदी ने बताया कि वही रास्ता है वही बच्चीयां हैं तो क्यों आप चिंता करते हैं? सोचिये शिक्षा का जो महत्व है और गवर्नमेंट स्कूल से 10वीं पास करेंगे 8वीं के बाद 9वीं में भी और 12वीं के बाद भी सरकार की कितनी योजनाए हैं! बच्चीयों को पढ़ने में भी रुचि है। मैं बीच मे ही बोल बौठी कि हमारी एसएम दीदी भी यहां आती है तो हम भी जा सकते हैं और हम अकेले नहीं हैं 20-25 लड़कियां और भी हैं तो अब से हम सब ग्रुप में जाएंगी। और किसी को भी किसी भी प्रकार की दिक्कत/समस्या भी नहीं आएगी।

उस दिन तो कह कर छोड़ दिया कि सोचेंगे। ऐसे दीदी ने 2-3 मीटिंग करी हमने भी 2-3 बार अपने ग्रुप में बात की और साथ ही पढ़ाई के महत्व को समझाया ताकि 8वीं में खूब मेहनत करके अच्छे अंक प्राप्त किए जा सके। 1 महीने बाद स्कूल खुलने को थे हमने बार–बार प्रयास किए तब जाकर घर वाले माने और पहले हम 5 लड़कियां थी हवेली स्कूल जाने वाली जो बढ़कर अब 13-15 लड़कियां हो गईं थी। तब हमारे घर वालो ने सभी को 9वीं में प्रवेश दिलवा दिया।

तो आज मैं 10वीं में पढ रही हूं तो मैं आज धन्यवाद करती हूं रूम टू रीड का और रूम टू रीड की एसएम दीदी का जिनके कारण आज मैं और मेरी ढाणी की बच्चियां पढ रही हैं। एक समय था जब हमारे ढाणी की छोरियां 8वीं भी मुश्किल से पढ़ पाती थी लेकिन आज का समय है, हम सब पढ रहे हैं। लोगों की ये सोच बदलता देख आज गर्व महसूस होता है कि हमारी ढाणी की छोरियां भी आज इतनी दूर जाकर अपनी पढ़ाई करती हैं। पहले केवल 8वीं तक पढ़ाते थे आज 7वीं से 12वीं तक की कक्षाओ में हमारे यहां की छोरियां स्कूल जाती हैं। आज मैं 10वीं में हूं, कल को मैं 12वीं की पढ़ाई पूरी कर लूंगी और अपने लक्ष्य तक पहुंच जाऊंगी।

तो लेते हैं विदा दोस्तों फिर मिलते हैं एक नई कहानी के साथ।

The post इन लड़कियों ने पढ़ने की ज़िद की और अपनी ज़िंदगी बदल ली appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


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