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संघर्षों के बीच कामयाबी की राह तलाशने वाली आदिवासी युवती पुनीता की कहानी

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झारखंड की राजधानी रांची एक आधुनिक शहर है। आदिवासी बहुल क्षेत्र होने की वजह से जनजातियों के जनजीवन की झलक आपको अनायास ही दिख जाएगी लेकिन इस आधुनिक शहर मे यहां के आदिवासियों के आर्थिक और सामाजिक जीवन के पहलुओं के बारे में शायद बहुत कम लोगों को जानकारी होगी।

ऐतिहासिक और राजनीतिक तौर पर झारखंड एक विकसित शहर है लेकिन कई दर्द भरे दास्तान अपने सीने में दबा रखा है। शहर की इस चकाचौंध जीवन के बीच एक ऐसी ही जीवंत कहानी मैं आपके सामने रखने की कोशिश कर रहा हूं। एक आदिवासी युवती की कहानी जिन्होंने अपने मज़बूत हौसलों के बल पर ना सिर्फ एक मुकाम हासिल किया बल्कि आत्मनिर्भर भी हैं।

अविवाहित 40 वर्षीय पुनीता किस्पोट्टा से वर्ष 2018 के दौरान सोशल मीडिया के माध्यम से मुलाकात हुई। मैं उन्हें एक वर्ष से जानता हूं। फोन पर बातचीत के दौरान मुझे उनके जीवन के संघर्षों के बारे में जानकारी मिली। जब मैंने उनकी जीवनी को समझना शुरू किया तो मुझे एहसास हुआ कि मुझे उनके बारे मे लिखना चाहिए।

आर्थिक तंगी का दौर

पुनीता के पिता लोहरदग्गा के एक छोटे से गाँव से संबंध रखते हैं। वह गरीबी के कारण रोज़गार की तलाश मे रांची शहर में आकर बस गए। वह यहां एक छोटी सी नौकरी करते रहे। यहां रहते हुए परिवार बनाया, तीन बेटी और एक बेटे के पिता बने। पुनीता उनकी सबसे बड़ी बेटी है।

गरीबी का आलम ऐसा था कि बुनियादी ज़रूरतों के लिए भी सैलरी कम पड़ जाती थी। ऐसे में बच्चों की उच्च शिक्षा की बात तो छोड़ ही दीजिए लेकिन बड़ी बेटी पुनीता ने किसी तरह 1993 में मैट्रिक पास की और आगे की पढ़ाई कर अपने बल पर ग्रेजुएशन में भी सफतला हासिल की।

मृदु शांत स्वभाव की पुनीता का अपना अलग ही व्यक्तित्व है। पुनीता जब 16-17 वर्ष की थी, तब से उन्होंने अपने परिवार के लिए काम करना शुरू कर दिया था। पिता की सैलरी से जब परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था, तब छोटी सी उम्र में ही पुनीता ने नौकरी करने का फैसला किया।

ब्यूटी पार्लर के ज़रिये कामयाबी की राह

इतनी कम उम्र की लड़की को भला जॉब का क्या अनुभव था। उनके पड़ोस की एक दीदी थी, जो एक ब्यूटी पार्लर मे जॉब करती थीं। एक दिन पुनीता ने भी जॉब करने की इच्छा जाहिर की। दीदी ने उन्हें अगले दिन ब्यूटी पार्लर आने को कहा। अगले दिन पुनीता ब्यूटी पार्लर पहुंच गईं।

उनसे बड़ी उम्र की कई लड़कियां ब्यूटी पार्लर की जॉब के लिए कतार में थी। पुनीता बताती हैं कि उस दिन उस जॉब के लिए सबसे कम उम्र की छोटी सी लड़की मैं ही थी। प्यारी सी दिखने वाली पुनीता को जब इंटरव्यू कें लिए रूम मे बुलाया गया, तो उसके मुंह से जवाब तक नहीं निकल रहे थे।

पुनीता किस्पोट्टा
पुनीता किस्पोट्टा

सामने एक सीनियर महिला इंटरव्यू ले रही थीं। सीनियर महिला ने उनकी कम उम्र को देखते हुए कई सवाल किए। अंत मे पुनीता ने हिम्मत करके यह जवाब दिया कि वह जल्द काम सीख जाएंगी। पुनीता के आत्मविश्वास को देखकर उन्हें जॉब पर रख लिया गया। जब पुनीता की सहेलियों को इस बारे में जानकारी मिली तो सभी कहने लगीं, “यह तुम क्या कर रही हो! आगे की पढ़ाई करके किसी सरकारी नौकरी के लिए कोशिश करो। इस तरह की नौकरी में क्या फायदा है? लोग तुम्हें अच्छी निगाह से नहीं देखेंगे।”

पुनीता अपने फैसले पर अटल थी। ब्यूटी पार्लर के इस जॉब में सैलरी बहुत कम थी लेकिन काम सीखने के विचार से वह अपना जॉब करती रहीं। इसके साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। पुनीता ने मुझे बताया है कि उनके खानदान में वह पहली लड़की थी जिन्होंने गॉसनर कॉलेज रांची से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। आर्थिक तंगी की वजह से पुनीता के भाई-बहन बीच में ही पढ़ाई छोड़ चुके थे।

भाई-बहनों से बेइंतहा मोहब्बत

पुनीता ने जीवन में उतार-चढ़ाव के कई दौर देखे हैं। उनके पिता कभी-कभी शराब पीकर हंगामा भी करते थे। पुनीता बताती हैं कि शराबी लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीं हैं। इस शराब ने हमारे परिवार का सुख-चैन छीन लिया है। मेरा बचपन मुझसे छीन लिया। इसके कारण बहुत छोटी उम्र में ही मेरे कंधों पर ज़िम्मेदारी आ गई थी।

छोटे भाई बहन की देखभाल और ज़िम्मेदारियों की वजह से वह समय पर विवाह नहीं कर पाईं। पिता को पैरालिसिस हो गया था। उनके इलाज में काफी पैसे खर्च हुए। अगर पुनीता की नौकरी नहीं लगती तो शायद आज उसके पिताजी जीवित नहीं रहते।

आज पुनीता 40 की उम्र पार कर गई हैं। इस उम्र के पड़ाव पर वह सोचती हैं कि काश कोई तो उसके पास होता जो उन्हें समझ पाता। जिसके मज़बूत कंधे पर सर रखकर वह सुकून महसुस करती और उससे वह अपने हृदय की बात बता पातीं। उनके बच्चे होते और काश अपने बच्चों को ही वह जी भर के प्यार करतीं लेकिन मातृत्व को उसने अपने छोटे भाई बहनों पर कुर्बान कर दिया।

ब्यूटीशियन के बारे में समाज के पूर्वाग्रह

पुनीता बताती हैं कि लोगों के दिमाग में बहुत गलत विचार होते हैं। एक ब्यूटीशियन प्रोफेशन से जुड़ी महिलाओं कें बारे मे हमारे समाज में कई गलत धारणाएं हैं कि वे अच्छी नहीं होती हैं। पुनीता के रिश्ते की बात कई दफा हुई लेकिन उनके ब्यूटीशियन प्रोफेशन की वजह से बात नहीं बन पाई।

आजकल लड़के वालों को सरकारी नौकरी वाली लड़कियां चाहिए। इस कारण पुनीता ने शादी का इरादा ही छोड़ दिया। यह सुनकर मुझे बहुत दु:ख हुआ कि एक अच्छी लड़की को हमारा समाज सिर्फ उसके प्रोफेशन की वजह से एक्सेप्ट नहीं कर पा रहा है।

बिना सोचे समझे और बिना जाने किसी लड़की को गलत समझना हमारे समाज की तंग मानसिकता का परिचायक है, जिसका खमियाज़ा पुनीता जैसी होनहार, मेहनती और समझदार लड़कियों को उठाना पड़ता है लेकिन पुनीता अपने प्रोफेशन से खुश हैं। उनका मानना है कि छोटी मानसिकता वाले किसी व्यक्ति से विवाह करने से बेहतर है कि वह अविवाहित ही हैं।

पुनीता किस्पोट्टा
फोटो साभार: फेसबुक

आज रांची शहर में पुनीता के स्वामित्व वाली ब्यूटी पार्लर शॉप है। उनकी दो छोटी बहनें भी अब उनके साथ मिलकर काम करती हैं। अब वह खुद के फैसले पर भरोसा करती हैं। पुनीता का कहना है कि जब उन्होंने अपने जीवन मे अकेले ही रह कर संघर्ष किया है, तो उनके निजी जीवन कें बारे मे किसी को बोलने का कोई हक नहीं होना चाहिए।

मैं पुनीता जैसी कर्मठ, समझदार और मेहनत के बल पर अपना एक अलग मुकाम हासिल करने वाली आदिवासी महिला पर फक्र महसूस करता हूं। आज महिलाओं के बारे मे हमारे समाज के नज़रिए को बदलने की ज़रूरत है।

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