Quantcast
Channel: Campaign – Youth Ki Awaaz
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3094

ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग के ज़रिये महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली कामिनी

$
0
0

जिनके हौसले बुलंद होते हैं, उन्हें जीवन की तमाम चुनौतियों से निकलना भी बखूबी आता है। जीवन की परेशानियों के लड़कर जो आगे बढ़ता है, मंज़िल भी उसी को मिलती है। इन पंक्तियों पर फिट बैठती हैं बिहार के मुज़फ्फरपुर की 45 वर्षीय कामिनी, जो एक गृहणी होने के साथ-साथ एक कामयाब बिज़नेस वुमन भी हैं।

‘ब्यूटी प्लाज़ा’ के नाम से वह अपना खुद का ब्यूटी पार्लर चलाती हैं। कामिनी लगभग 20 वर्षों से इस काम से जुड़ी हुई हैं। वह लड़कियों को ब्यूटीशियन का कोर्स भी कराती हैं, जिनसे उन्हें रोज़गार मिल सके।

वह बताती हैं कि उन्होंने स्थानीय ब्यूटी पार्लर ‘ज्योत्स्ना ब्यूटी पार्लर’ से ब्यूटीशियन का कोर्स किया और 25 वर्ष में ही इस पेशे से जुड़ गईं। ‘महिला पॉलिटेक्निक’ से उन्होंने फैशन डिज़ाइनिंग का कोर्स भी किया है। पहले लोग ब्यूटी पार्लर को खराब नज़रिए से देखते थे मगर सिविल कोर्ट में वकील के तौर पर काम करने वाले उनके पति और पूरे परिवारवालों ने उनका बेहद सहयोग किया।

संघर्ष का दौर

कामिनी के लिए ज़िन्दगी आसान नहीं रही है। संघर्ष के दिनों का ज़िक्र करते हुए वह कहती हैं कि शुरू-शुरू में आमदनी उतनी नहीं होती थी लेकिन धीरे-धीरे लोगों के सहयोग और मेहनत के बल पर उन्होंने अपने ब्यूटी पार्लर को आगे बढ़ाया। आज उनका पार्लर किसी पहचान की मोहताज़ नहीं है।

जो लोग कभी ब्यूटीशियन के काम को बुरी नज़र से देखते थे, वे आज उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे। ‘महिला कल्याण सेवा आश्रम’ एनजीओ की ओर से चलाए गए कार्यक्रम के तहत उन्होंने 125-200 लड़कियों को ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग भी दी है, जिसमें से अधिकांश लडकियां आज स्वयं का पार्लर चला रही हैं।

उनके इस प्रयास ने ‘महिला रोज़गार’ को आगे बढ़ाया है। इसके साथ ही वह अपने बुटीक में लड़कियों को सॉफ्ट-टॉय बनाना सिखाती हैं। सिलाई-कढ़ाई में भी उनकी बहुत दिलचस्पी है, जिसकी बानगी इससे पता चलती है कि उनसे ब्यूटीशियन और सिलाई-कढ़ाई सीखने के लिए लडकियां दूर-दराज़ से आती हैं।

समय-समय पर आयोजित होने वाले ब्यूटी-प्रोडक्ट्स और ब्यूटीशियन सेमिनार में भी वह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं, जहां लोग उनकी कामयाबी की दस्तां सुनकर प्रेरणा लेते हैं।

वह बताती हैं कि एक समय उनकी दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया था।, जिसके बाद संघर्ष का काफी लंबा दौर चला। जब वह ज़िन्दगी और मौत की जंग लड़ रही थीं, तब उनकी सास ने उन्हें अपनी किडनी दी और उनकी जान बच गई। यह उनके परिवार का प्यार ही था, जिसने उन्हें फिर से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

कामिनी
फोटो साभार: सौम्या ज्योत्सना

कामिनी कहती हैं, “लोगों की यह सोच थी कि ब्यूटी पार्लर चलाने वाली या वहां काम करने वाली महिलाओं को लोग अच्छे नज़रिए से नहीं देखते लेकिन मैंने इन चीज़ों की परवाह नहीं की और खुद का ब्यूटी पार्लर शुरू किया।”

वह बतातीं हैं कि उन्हें सरकार की तरफ से तो कोई सहयोग प्राप्त नहीं हुई मगर लोगों ने अपने स्नेह के बल पर उन्हें यहां तक पहुंचाया। उनका सपना है कि वह अपने पार्लर को और आगे ले जाएं ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग जुड़ सकें। लड़कियों और महिलाओं को रोज़गार मिले। हर महिला सशक्त बन सके और लोग पार्लर को अच्छे नज़रिए से देखें।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कामिनी ने अपनी मेहनत के बल पर तमाम चुनौतियों को मात देते हुए ना सिर्फ अपने लिए एक मुकम्मल राह बनाई, बल्कि उन तमाम महिलाओं के लिए भी एक मिसाल हैं, जो कुछ अलग करना चाहती हैं। जिन्हें फर्क नहीं पड़ता कि यह समाज उन्हें किन निगाहों से देखता है, बस अपने सपनों के साथ जी लेना चाहती हैं अपनी ज़िन्दगी।

The post ब्यूटीशियन की ट्रेनिंग के ज़रिये महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने वाली कामिनी appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3094

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>