Quantcast
Channel: Campaign – Youth Ki Awaaz
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3094

माहवारी पर शर्म और चुप्पी तोड़ने से ही बेहतर होगा स्त्री स्वास्थ्य

$
0
0

 

इस चुप्पी को तोड़ने के लिए बेहद ज़रूरी है कि हर स्कूल में इस विषय पर छठी कक्षा से लड़कियों के लिए एक विशेष क्लास हर माह आयोजित की जाये। ताकि वे माहवारी की जटिलताओं को समझ सकें और उससे किस तरह सहज बनाना है यह समझ सकें। अपने व्यक्तिगत अनुभवों और समस्याओं से शायद कुछ लड़कियों को हिम्मत दे सकूं इस विषय पर खुलकर बात करने की तो ये मेरी सार्थकता होगी।

मुझे अच्छी तरह याद है वो वक्त जब माहवारी का शुरुआती दौर था मेरा व मेरे साथ स्कूल जाने वाली मोहल्ले की लड़कियों का। समान उम्र ही थी हम सब की तो आगे-पीछे ही सबकी माहवारी भी शुरू हुई। घर से सिर्फ इतना ही सीखा था कि ऐसे वक्त में कपड़ा इस्तेमाल कैसे करना है। साफ या गन्दा जैसी तो कोई बात ही ना थी। हम सब छोटे ही तो थे आपस मे सब अपनी समस्या साझा करतीं ।

किसी को घर मे ज़मीन पर सोना पड़ता था तो किसी को अलग कमरे में कर दिया जाता और खाने का बर्तन भी अलग हो जाता। किसी को बहुत दर्द होता, कोई बहुत खून आने से परेशान होती, किसी को 5 या 6 दिन तक माहवारी होती तो कोई 3 दिन में ही फुर्सत पाकर खुश होती। कई बार तो ऐसा भी हुआ कि स्कूल में ही माहवारी अचानक शुरू हो जाती तो कपड़े के इंतज़ाम के लिए साइकिल स्टैंड पर दौड़ लगाते हम सब। साइकिल स्टैंड पर इसलिए कि हम सबकी साइकिल में साफ करने के लिए कुछ कपड़ा जो होता था गद्दी के नीचे उसको इकट्ठा करके ही उस वक्त राहत की सांस लेते थे और यह घटनाक्रम मेरे जैसी सैकड़ों लड़कियों के साथ होता था।

खैर! समय बीता कॉलेज में भी पहुंचे हम पर मैंने महसूस किया कि थोड़ा समझदार हो गए हम और पैड का इस्तेमाल करना भी सीख ही लिया था पर तब भी एक गलती तो करते ही थे वो ये कि पैड जब तक पूरा भीग न जाए बदलते न थे। इसके दो कारण ही समझ पाई हूं अब तक कि जानकारी का अभाव था और दूसरा ये कि कम-से-कम पैड में माहवारी निपट जाए क्योंकि तब घर में पैड हमारे लिए आता तो था पर उसे बचत के साथ प्रयोग करने की नसीहत भी मिलती थी। ज़्यादा इस्तेमाल होने पर कपड़ा इस्तेमाल करने की धमकी। यह सिर्फ मेरी ही नहीं मेरे साथ की तमाम लड़कियों की आपबीती थी।

समय के साथ हम समझदार और स्वाबलंबी हुए और आखिरकार हमने सीख भी लिया माहवारी में स्वच्छता का पाठ और अपने आसपास की तमाम लड़कियों को भी बखूबी समझाया जब भी मौका लगा। आज भी तमाम बच्चियां इस मुद्दे पर ना तो जागरूक हैं ना शिक्षित। माहवारी पर जागरूक करने के लिए स्कूल से बेहतर जगह क्या होगी? स्कूली शिक्षा को अनपढ़ और रूढ़िवादी समाज भी  मान्यता दे ही देता है तो क्यों ना स्वच्छता और स्वास्थ्य की शिक्षा में एक अध्याय “स्वच्छ और स्वस्थ माहवारी के पहलू” का हो। इसके लिए स्कूलों में विशेष कक्षा की सार्थक पहल अनिवार्य रूप से हो तो  सोच तो बदलेगी साथ ही ऑफिस, स्कूल में या सुलभ शौचालयों में महिलाओं की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुए डस्टबिन, कुछ पेपर और पैड की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि आपात स्थिति में राहत महसूस हो सके।

सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य सम्बन्धी क्षेत्रीय इकाइयों में माहवारी में हाइजीन का ख़्याल कैसे रखें, इस विषय पर जानकारी के साथ गरीब महिला और किशोरियों को मुफ्त या सस्ती दरों पर पैड देने और उसके इस्तेमाल की आवश्यकता पर ज़ोर दिए जाने हेतु कदम उठाये जाने की ज़रूरत भी है। जनसंख्या नियंत्रण हेतु जब कदम उठाये गए थे तब सुरक्षित यौन सम्बन्ध के उपायों पर हर महिला को जागरूक किया गया। नुक्कड़ नाटक, सेमिनार, दीवारों पर लिखने से लेकर पोस्टर तक हर माध्यम से जागरूक किया गया और एड्स से बचाव हेतु कंडोम के उपयोग पर भी खूब खुली चर्चा हुई। तो अब जीवन के आधार से जुड़ी और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहतर, स्त्रियों की माहवारी पर खुली चर्चा, जागरुकता हेतु नुक्कड़ नाटकों के प्रयोग पर संकोच और शर्म कैसी

स्त्रियों की बहुत सी बीमारियों का सीधा सम्बन्ध माहवारी की नियमितता से जुड़ा है। संकोच की वजह से इस मुद्दे से जुड़ी समस्याएं ना तो खुद कभी कहती हैं किसी से या डॉक्टर से। डॉक्टर के पूछने पर कई बार झूठ भी बोल जाती हैं क्योंकि वो किसी के साथ डॉक्टर को दिखाने गई होती हैं। एक समस्या ये कि इस मुद्दे पर चुप रहना, कुछ न कहना यही तो सीखा है शुरू से और दूसरी समस्या ये कि डॉक्टर अगर पुरुष हुआ तो बोलना चाहे भी तो ना बोल सके, ऐसी स्थिति में न सही इलाज होता है न बीमारी का समाधान।

दोस्तों, समाधान के लिए सच स्वीकारने की बेहद ज़रूरत है, सच के साथ संकोच को त्यागने और बोलने-सीखने की ज़रूरत है। यकीन मानिए जिस दिन महिलाएं अपनी इन समस्याओं पर जकड़ी हुई सदियों की बेड़ियों को तोड़कर मुखर हो जाएंगी और अपने स्वास्थ्य का खुद खयाल रखने में निर्भीकता से सक्षम हो जाएंगी उस दिन वो आदिशक्ति की तरह सशक्त हो जाएंगी।

The post माहवारी पर शर्म और चुप्पी तोड़ने से ही बेहतर होगा स्त्री स्वास्थ्य appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3094

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>