जब कोई छोटा सा रिहाइशी इलाका किसी कस्बे या शहर का रूप लेता है, तो क्षेत्रीय लोगों के ज़हन में क्षेत्र के विकास हेतु उम्मीदें फलने-फूलने लगती हैं। धनबाद क्षेत्र का बदनसीब माइनिंग इलाका जो गाँव से कस्बा और कसबे से शहर की शक्ल तक ज़रूर पहुंचा लेकिन इसका सैकड़ों वर्षों का इतिहास सिर्फ और सिर्फ इसकी लाचारगी ही बयां करता है। वह लाचारगी जो वर्षों से कुंडली जमाये अभिशाप की मौजूदगी में विकास ना हो पाने की...
↧