साल 2011 की बात है जब मैं आईबीपीएस एग्ज़ाम देने के लिए रांची गई थी। इस दौरान मेरे साथ मेरा भाई भी था मगर उसे रांची में कोई काम था जिस कारण एग्ज़ाम हॉल में मुझे छोड़कर वह अपना काम करने चला गया। शाम को जब हमारा एग्ज़ाम ओवर हुआ और हम वापस ट्रेन पकड़ने के लिए रांजी जंक्शन जा रहे थे तब रास्ते में मुझे महसूस हुआ कि अब मुझे पैड बदल लेना चाहिए। स्टेशन जाने के रास्ते में एक सुलभ शौचालय पर नज़र गई तो मैं...
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