माहवारी ने महिलाओं को अपवित्र और गंदा बना दिया! हद तो यह है कि पुरुषों ने इसे सच मान भी लिया। प्रकृति की सारी तार्किकता को किनारे कर लिया गया। पितृसत्ता में जो पुरुष ने सच मान लिया, बस वही पत्थर की लकीर हो गई, जिसका पालन सबके लिए ज़रूरी था। आखिर माहवारी महिलाओं के लिए अपवित्र हुई कैसे? किसने कहा ऐसा? क्या किसी ने कभी महिलाओं से पूछा कि वे कैसा महसूस करती हैं ऐसा सुनकर? ऐसे तमाम उदाहरण मिल जाएंगे जब...
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