भारत की अधिकांश आबादी गाँवों में रहती है और वहां आज भी लोगों को शिक्षित होने, आत्मनिर्भर बनने एवं बौद्धिक जागरूकता लाने की ज़रूरत है। इसकी कमी के कारण ही गाँव के लोग अभी भी अपेक्षाकृत अधिक धर्मभीरू हैं तथा जात-पात और ऊंच-नीच में अधिक विश्वास करते हैं। मुझे भी अपने कॉलेज के जमाने में रूम किराए पर लेने के दौरान गोला गोकरननाथ (खीरी) में एक मकान मालकिन से अपमानित होना पड़ा था, जब उनके द्वारा मेरी जाति...
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