दुनिया तकलीफों की तंग गलियों में फंसी हुई है, दर्द हर जगह देखा जा सकता है। जिस ओर देखो दर्द और तकलीफ होती है। इसका मूल आधार है कहीं गरीबी तो कहीं घरेलू हिंसा, कहीं बलात्कार तो कहीं अपराध की आंधी। मैं मानता हूं इस बात के पीछे सीधे तौर पर फैली हुई असमानता, लिंग समस्या और लिंग के आधार पर भेदभाव है। यह भेदभाव यह समानता इंसान की किस पीढ़ी तक जाकर अपना प्रभाव दिखाती है, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल ही नहीं...
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