हर महीने कुछ दिन माँ कहती थी, “हमारी तबियत ठीक नहीं है।” सुनकर कुछ अटपटा सा लगता था, क्यूंकि मेरी समझ में माँ को न तो बुखार था, न ही खांसी आदि जिसे हम बीमारी का आम रूप समझते है। माँ मंदिर नहीं जाती, पूजा नहीं करती और कुछ असहज दिखती, अफसोस ये कि माँ की इस ‘बीमारी’ पर कभी मेरा ध्यान भी नहीं गया। घर में मैं सबसे बड़ा था, मुझसे छोटा भाई और लास्ट में मेरी बहन। अब चूंकि मैं लड़का था, इस कारण माँ के पास ह...
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