

राजस्थान के बीकानेर जिले के दूरस्थ क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली, वर्तमान में जीएनएम कर रही प्रिया की शादी कक्षा 7 में पढ़ते हुऐ 13 वर्ष की उम्र में दो बड़े भाई-बहन के साथ कर दी गई। उस समय प्रिया के कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है। शादी के एक महीने बाद ही प्रिया के ससुराल वाले उसे ससुराल ले आए। ससुराल में प्रिया अपने स्कूल को बहुत याद करती थी लेकिन ससुराल वालों ने उसकी पढ़ाई छुड़वा दी और उसे खेती का काम करने के लिए खेत में भेज दिया गया। उसे लगा की जिंदगी में संजोए सारे सपने अब सपने ही बनकर रह गए।
गर्भवती होते हुए भी अपनी लगन से प्रिया ने पढ़ाई की
इस कच्ची उम्र में खेत व घर का काम तथा दिन रात शारीरिक और मानसिक शोषण यही दिनचर्या बन गई थी। इन सब बातों को सोच-सोच कर मन विचलित हो जाता। उसे लगा कि किसी भी तरह अगर उसकी पढ़ाई दोबारा शुरू हो जाए, तो शायद वह इन समस्याओं से लड़ सकती है। शादी के एक साल बाद प्रिया वापस अपने मायके आई और अपने पापा से दोबारा पढ़ने की बातें कही। उसके पापा ने भी हां कह दी। तब प्रिया को एक नई उम्मीद दिखाई दी। एक साल के बाद प्रिया ने फिर से अपनी पढ़ाई शुरू की। तब तक प्रिया 3 महीने की गर्भवती हो चुकी थी। रात दिन मेहनत करके प्रिया ने आठवीं कक्षा के एग्जाम दिए। एग्जाम के 15 दिन बाद प्रिया ने एक बेटे को जन्म दिया। फिर भी प्रिया ने आठवीं कक्षा में 80% अंक प्राप्त किए। इससे प्रिया और उसके पिता का हौंसला बढ़ गया। उन्होंने उसे लगतार आगे पढ़ाने की मन में ठानी।
बच्चा और घर की जिम्मेदारी में छूटी पढ़ाई
बच्चा छोटा होने की वजह से और ससुराल वालों के दबाव के कारण दो साल बाद प्रिया की पढ़ाई वापस छूट गई। उसके बाद एक दिन प्रिया की एक नर्स से भेंट हुई तब प्रिया ने अपने मन की सारी बातें नर्स को बताई और आगे पढ़ने के बारे में भी बात की। तब नर्स ने प्रिया के ससुराल वालों को समझाया व अपनी तरह नौकरी लगने का आश्वासन भी दिया। फिर प्रिया ने दसवीं का फार्म भरा और प्राइवेट में दसवीं की पढ़ाई करना शुरू किया। घर का काम, खेती का काम और एक बच्चे की जिम्मेदारी संभालते हुए प्रिया ने दसवीं की परीक्षा की तैयारी की। लेकिन फिर प्रिया उस समय दूसरे बच्चे की मां बनने वाली थी और प्रिया ने फिर एक बेटे को जन्म दिया। 2 महीने के बच्चे को प्रिया अपने माँ के घर छोड़कर दसवीं के एग्जाम दिए और बखूबी दसवीं पास की।
ससुराल के विरोध के बावजूद प्रिया आगे बढ़ती रही
बाद में प्रिया ने ससुराल आते-जाते ही 12वीं की परीक्षा भी दी और 12वीं भी 1 साल में पास कर ली। उसके बाद प्रिया ने अपने पिता की मदद से ससुराल को छोड़कर पास के शहर में छोटी सी नौकरी करना शुरू किया। अब प्रिया स्वयं सेवी संस्था उरमूल सेतु संस्थान के एक कार्यकर्ता से मिली और उनसे बात की। उन्होंने संस्थान में बालिका शिविर के बारे में बताया और आगे पढ़ने के लिए प्रेरित किया। बाद में प्रिया ने बीए की पढ़ाई की और अब प्रिया जीएनएम कर रही है। वह साथ में प्राइवेट नौकरी भी कर रही है। प्रिया के ससुराल वालों ने काफी विरोध किया लेकिन प्रिया ने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रही। आज प्रिया अपने सपनों को पूरा करने में लगी है। अब कुछ हद तक ससुराल वाले भी प्रिया का सहयोग करने लगे हैं। आज प्रिया के दोनों बेटे भी अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं और प्रिया को भी पढ़ने में मदद करते हैं।