

मैं जब पन्द्रह या सोलह साल की थी, मैं लोगों के सामने भीड़ में अपने किसी तरह के मत या विचार नही रख पाती थी | ये करना कितना जरूरी हो सकता है या जरूरी है इसे मैंने कभी समझा नही था | जब मैं अपनी बात नही रख पाती तो लोग मेरे अभिभावक को कहते है कि मैं एक अच्छी बेटी हूँ, शायद मैं उनकी सबसे बड़ी बेटी हूँ | मैं ये सुन मन में बहुत खुश होती और मुझे लगता कि अब मै बड़ी हो गयी और किसी के सामने अपनी बात नही कहना चुपचाप सुन लेना एक अच्छी बात होती है |
खुद में इस समझ में साथ मै बड़ी हुई लेकिन धीरे-धीरे काम करने के दौरान एवं स्वम् में सीखने की प्रवृति से मैंने ये सीखा अपनी बात रखना या खुद पर भरोसा रखना कितना जरूरी है | ये कहानी सिर्फ मेरी नही है मेरे जैसे अन्य लड़कियों की है जो अपने जीवन में कुछ करना चाहती है लेकिन घर या आसपास के माहोल से उन्हें कुछ कर पाने का आत्मविश्वास बंध ही नही पाता है |
आत्मविश्वास, एक शब्द जो स्वम् को आगे बढ़ाने और कुछ करने का विश्वास पैदा करता है | कहा जाता है आत्मविश्वास सफलता की कुंजी है | किसी काम को करने में स्वम् पर विश्वास रखना एक महत्वपूर्ण योगदान निभाता है |
कई बार हम लड़कियों को अपने परिवार ये मौके नही मिलते है या उनसे नही जानना चाहते है वो अपने जीवन में क्या करना चाहती है, इसके कई वजह हो सकते है जैसे; आसपास लोग क्या बोलेंगे, हमने शुरुआत से ये कभी नही किया है या अन्य कोई कारण | ये मौके नही देने से अगर कभी गलत भी होता है तो सक्षम नही होते है कि किसी के साथ या परिवार के साथ साझा किया जाएँ क्यूंकि मौके ही नही मिले जहाँ ये समझे की साझा करना या अपनी बात रखना कितनी जरूरी है |
मुझे याद है मेरी एक मित्र थी और उसे बाहर पढ़ने जाना था, क्यूंकि वो घर पर स्वम् से अपनी दसवीं की तैयारी नही कर पा रही थी, कई विषय थे जो उसे समझ में नही आते थे लेकिन अपनी बात नही रखने की प्रवृति से वह ये बात अपने परिवार को कभी साझा नही कर पायी | जब उसने दसवीं की परीक्षा दी और परिणाम आया वह अंग्रेजी के विषय में कुछ अंक के लिए असफल हो गयी | परिवार के सदस्य ने उसे आगे पढ़ने नही दिया और जल्दी ही शादी करवा दी |
हमारे आसपास ये होना बहुत आम बात है क्यूंकि शादी जैसे निर्णय जिसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका लड़की की होती है लेकिन इसके फैसले लेने का हक़ भी एक लड़की को नही है | जीवन भर जहाँ उसे अपने साथी के साथ रहना है वहां परिवार उससे बिना पूछे ये बता रहा है वही एक इन्सान है जिसके साथ उसे ख़ुशी मिल सकती है | मैंने अपने काम करने के दौरान कई ऐसी महिलाओं से मिली जिन्होंने ऐसे ही शादी की लेकिन क्यूंकि एक दुसरे को नही जानने या समझने के कारण उन्हें अपने रिश्ते में बराबर के मौके परिवार में नही मिलें |
उन्हें सिर्फ निर्णय सुनने, घर पर होने वाले कार्य में पूरी भूमिका निभाने है, जिसका निर्णय भी शायद उन्होंने नही लिया है | ये निर्णय उन्हें बचपन से मिला है क्यूँकि “तुम एक लड़की हो |” उन्हें पता है कि वह एक लड़की है तो जीवन के उनके कई कार्य है जो उनके जन्म लेते ही उनके लिए बना दिए गये है और ये मिथक लम्बे समय के साथ अभी भी चलते आ रहे है |
इस लेखनी को लिखने के लिए मैंने कई अनजान लड़कियों से बात की, कि वे आत्मविश्वास को लेकर क्या विचार रखते है । जिसमें सबसे ज्यादा लड़कियों ने ये साझा किया कि "स्वम् में आत्मविश्वास होना सबसे ज्यादा जरूरी है, इससे ही हम अपने जीवन मे कुछ पा सकते है ।"
कमाल की बात इसमें ये भी थी कि कई लड़कियों ने मुझसे बात नही की, ये सोचकर पता नही क्या पूछा जाएगा और मैं क्या बोलूंगी । ये आत्मविश्वास होना भी कितना जरूरी है कि मैं अपनी बात रख सकती हूँ जिससे निर्णय लेने का सफर शुरू हो सकता है ।
खुद में आत्मविश्वास के ये मौके देने से खुद की समझ, निर्णय लेने, अपनी बात रखने के मौके देने, सुनने, जीवन मे आगे बढ़ने या परिवार को संभालने, उन्हें समझने का स्थान भी देते है । इसके लिए परिवार को बराबर के मौके देने और लेने की जरूरत है, जिससे हर क्षेत्र जिधर रुचि हो उस और बढ़ा जा सके ।