

उत्तरी पश्चिमी राजस्थान में शादी में प्रचलित आट्टा साट्टा प्रथा में बेमेल शादियां वर्तमान समय में बालिकाओं के सामाजिक जीवन तथा मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। इसके परिणाम में बहुत सी बालिकाओं का भविष्य खराब होता दिख रहा है। आट्टा साट्टा प्रथा में अधिकांशतः शादियां बेमेल होती है जिसमें लड़कियों के छोटी उम्र कि अपेक्षा लड़कों का उम्रदराज होना एवं शैक्षिक स्तर का कम होना भी बहुतायत में होता है। लड़कों की स्थिति हर तरह से लड़कियों के अनुरूप नहीं होने के कारण वैचारिक समन्वय बिठाना मुश्किल हो जाता है, जो कि आगे चलकर परिवारिक जीवन में अस्थिरता तथा कलह एवं प्रताड़ना का कारण बनता है। साथ ही बालिकाओं के क्षमता अनुसार आगे बढ़ने के अवसरों को भी बाधित करता है। इन सब के चलते जाने अनजाने में बालिकाओं को कोई ऐसा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ता है जो उनके भविष्य को और कष्टमय बना सकता है।
समाज की दुहाई देकर उसे चुप कराया गया
बीकानेर क्षेत्र के एक गांव की बालिका बबीता (बदला हुआ नाम) 10वीं में थी। वह किशोरी प्रेरणा मंच की सदस्य थी। उस समय उसकी उम्र करीब 16 वर्ष थी। तब उसकी शादी दो भाइयों के एवज में ऐसे युवक से तय की जाती है जो उम्र में उससे दोगुना बड़ा और अनपढ़ था। वह भेड़- बकरी चराने का काम करता था। वह किसी भी सूरत में शादी के लिए बबीता के अनुरूप नहीं था। बबीता को जब इस स्थिति का पता चलता है तो वह बहुत चिंतित हो उठती है। वह इस संबंध में अपने परिवार से बात करती है। लेकिन उसे कहा गया कि वर्तमान समय में एक के बदले दो लड़कियां मिलना मुश्किल है। दो भाइयों की शादी तेरे एक के बदले में हो रही है इसलिए अनपढ़ या बड़ी उम्र के बारे में सोचने की बजाय उसे अपने भाइयों की शादी के बारे में सोचना चाहिए। उसने कहा कि अभी तो मेरी उम्र भी शादी की नहीं हुई है। तब उसे समाज में बनी इज्जत की दुहाई देकर चुप करा दिया गया। बबीता को पूर्व में बाल विवाह के दुष्परिणामों पर जानकारी मंच के जरिए मिली थी।
बाल विवाह के खिलाफ आवाज़ उठाई बबीता
वह दिन रात इसी उधेड़बुन में थी कि किसी तरह इस शादी को रोका जाए। तभी उसे पुलिस से सहायता लेने का विचार आया। वह एक दिन किसी बहाने घर से निकलकर नजदीकी पुलिस स्टेशन पहुंच गई। वहां जाकर थाना प्रभारी को सारे घटना क्रम की जानकारी देते हुए अपने बाल विवाह को रुकवाने की गुहार लगाई। थाना प्रभारी ने बबीता के परिवार को फोन कर थाने में आने के लिए कहा तो परिवार वालों को बबीता द्वारा उठाए गए इस कदम के बारे में पता चलते ही आग बबूला हो गये। उसी समय सरपंच सहित गांव के मुख्य लोगों को इकट्ठा कर पुलिस थाना पहुंच गए। गांव वालों ने बबीता से अलग-अलग तरीके से बात कर घर जाने को कहा लेकिन बबीता ने मना कर दिया। तब पुलिस पर दबाव बनाकर उन्हें बबीता उनके साथ भेजने के लिए मनाने को कहा। पुलिस ने इमोशनल तरीके से और नहीं मानने पर डरा धमका कर कहा कि तुझे परिवार के साथ जाना ही पड़ेगा। लेकिन बबीता ने कहा, "मैं अगर शादी रुकवाने के लिए परिवार के विरुद्ध आपके पास आ सकती हूँ, तो आप के विरुद्ध आगे भी जा सकती हूं। तब भी जबकि मैं अभी नाबालिग हूं।" तब मजबूरन पुलिस को अपने कदम वापस हटाने पड़े और गांव वालों को खाली हाथ अपने गांव जाना पड़ा। पुलिस ने बबीता को बाल संरक्षण समिति के सामने पेश कर उसे नारी निकेतन भिजवा दिया।