

शिक्षा का उद्देश्य समय के साथ अपने आप में परिवर्तन लाना है। साथ ही साथ चुनौती को स्वीकार करके आगे की ओर बढ़ जाना है। यही कारण है कि भारत सरकार काल परिस्थितियों के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में नवीनता और नवाचार का समायोजन करता है। उसी का परिणाम है कि समय-समय पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति/राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा/राष्ट्रीय शिक्षा आयोग को लाती है ताकि नए समय के चुनौतियों को परख सके और उस पर कार्य करके आगे बढ़ सके।
मौजूदा आंगनबाड़ी केंद्रों का क्या होगा
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पहले 5 में 3वर्षों की आंगनवाड़ी केंद्र को विद्यालय में समाहित करने की बात की है और शेष दो वर्षों को कक्षा 1 और 2 के लिए बात कही गई है। पश्न यह उठता है कि बिहार में वर्षों से 1.14 लाख आंगनबाड़ी केंद्र है जो निरन्तर कार्य करती चली आ रही है, उनके भविष्य का क्या होगा? साथ ही साथ यह भी चुनौती है कि जब आंगनबाड़ी केंद्र की पाठ्यक्रम विद्यालय में पढ़ाई जाएगी तो उसके लिए जो संसाधनों (भवन,शिक्षक, लैब,पुस्तकालय, मिड डे मील के लिए स्थान, इत्यादि) की आवश्यकता होगी वह कैसे पूर्ति होगी? बिहार में सरकार ख़ुद ही घोषणा कर चुकी है कि 3 लाख शिक्षकों की पद रिक्त पड़े हैं, ऐसे में स्थिति और गंभीर नजर आती है।
NCERT के बदले SCERT की पहल उचित नहीं
NCERT राष्ट्रीय स्तर पर पाठ्यचर्या रूपरेखा तैयार करती है और पाठ्यक्रम का निर्माण कार्य करती है। साथ ही साथ शिक्षकों को आगामी कक्षा की चुनौतियों के लिए तैयार करती है। ठीक उसी प्रकार SCERT बिहार का काम भी प्रदेश स्तर पर करना होता है। लेकिन बिहार के SCERT का कार्य सुस्त पड़ा हुआ है, जिससे बिहार के बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है।
कुशल शिक्षकों की है भारी कमी
NEP 2020 के क्रियान्वयन में कुशल शिक्षकों की अधिक मात्रा में आवश्यकता है। लेकिन बिहार सरकार ने अपनी संविदा नीतियों की वजह से लाखों की संख्या में अप्रशिक्षित शिक्षकों को बहाल किया है जो आज भी कुशल नहीं हो पाए हैं। साथ में जो युवा पीढ़ी दक्ष है तो वह बिहार की शिक्षा व्यवस्था से बाहर है क्योंकि बिहार सरकार को उनकी नियुक्ति के लिए कई तरह की नीतियों का अंबार लगा चुका है। इसमें शिक्षा व्यवस्था का अपूरणीय क्षति हुई है।
बिहार में 10+2 की विद्यालयी व्यवस्था चल रही है
जब पूरे देश में NEP 2020 लागू किया गया तो प्रत्येक राज्य सरकार अपने संसाधनों से नीतियों को लागू करने में लग गई लेकिन बिहार की स्थिति आज भी उलट ही है। NEP 2020 की विद्यालयी संरचना 5+3+3+4 की है। वहीं बिहार की विद्यालयी संरचना 10+2 की ही चल रही है जो निराशाजनक है। इसके अलावा बिहार में प्रखंड(ब्लॉक) स्तर पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी(ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर) और जिला स्तर पर जिला शिक्षा पदाधिकारी का पद सृजित है लेकिन अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी पद सृजित नहीं है। साथ ही साथ BRC एवं CRC केन्द्रों पर भी पदाधिकारी की आवश्यकता है ताकि शिक्षा व्यवस्था की मॉनिटरिंग की जा सके।
मिशन मोड पर हो शिक्षकों की बहाली
बिहार के शिक्षा व्यवस्था में आमूल परिवर्तन के लिए यह आवश्यक है कि मिशन मोड पर शिक्षकों की बहाली बड़े पैमाने पर हो ताकि कोई भी विद्यालय बिना शिक्षक न हो। बिहार सरकार ने हाल में ही एक निर्णय लिया है कि अब शिक्षकों की बहाली बीपीएससी जैसी आयोग करेगी। जो भी शिक्षक बहाल होंगे वह राज्यकर्मी होंगे और नियमित शिक्षक बहाल होंगे। हालांकि जो वेतन तय किया गया है वह संतोषजनक नहीं है लेकिन फ़िर भी सरकार का प्रयास सराहनीय है।
समय से हो पाठ्यपुस्तक की छपाई
बिहार में पाठ्यपुस्तक का निर्माण बिहार राज्य पाठ्य पुस्तक प्रकाशन निगम लिमिटेड (BSTBPC) के हाथों में है। यह बिहार सरकार के कुव्यवस्था का शिकार है, जिसका टेंडर प्रक्रिया समय से शुरू नहीं होने के कारण कई वर्षों तक बिहार के बच्चे बिना पुस्तक रह जाते हैं। इससे सीखने की प्रक्रिया बेहद प्रभावित होती है। कोई भी राज्य तब तरक़्क़ी करता है जब वह अपनी नीति और नियत को स्पष्ट रखता है। शिक्षा मानव संसाधन के रूप में अग्रणी है। इसलिए बिहार सरकार को शिक्षा को सर्वोपरि मानकर आगे बढ़ाना होगा ताकि बिहार के विद्यार्थियों का भविष्य सुरक्षित हो सके।