हिंदुस्तान में पिछले लंबे वक्त से सरकारी नौकरियों के अभाव के कारण लोग स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जिसके बाद प्राइवेट नौकरियों ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इसके साथ ही प्राइवेट कंपनियों की मनमानी भी बढ़ गई है। लोग इन कंपनियों में काम करने को मजबूर हैं, जिसका फायदा ये कंपनियां उठाती हैं।
आठ घंटे की शिफ्ट से ज़्यादा काम लेना
मेरी एक दोस्त जो एक प्राइवेट कंपनी में काम करती है, उसने मुझे बताया कि किस तरह कर्मचारियों की मजबूरियों का फायदा उठाकर ये कंपनियां सक्सेसफुल बनती हैं।
उसने मुझे बताया कि उसे आठ घंटे की शिफ्ट से ज़्यादा काम करना पड़ता है। यहां तक कि आने-जाने में लगने वाले वक्त की कोई गिनती नहीं है। वह जिस ऑफिस में काम करती है, वह ऑफिस सुबह के आठ बजे से शाम के छ: बजे तक चलता है मगर जाने का वक्त फिक्स नहीं है।

लोग ना चाहकर भी ओवरटाइम करने को मजबूर हैं। सप्ताह में छ: दिनों तक ऑफिस चलता है। वहां शनिवार को छुट्टी नहीं होती और कभी- कभी तो रविवार को भी काम पर बुला लिया जाता है। यह दर्द केवल मेरी दोस्त का नहीं है बल्कि हर उस कर्मचारी का है, जो ऐसी कंपनियों में काम करते हैं।
वर्क प्लेस का वातावरण
कर्मचारियों को सुरक्षित माहौल देने की ज़िम्मेदारी कंपनियों की होती है। कुछ कंपनियां इसे गंभीरता से लेती हैं तो कुछ केवल दिखावा करती हैं। जैसे –
- अगर किसी कंपनी में 10 से ज़्यादा कर्मचारी हैं, तो वहां आंतरिक शिकायत समिति अनिवार्य है।
- महिलाओं का शोषण से बचाव के लिए एक टीम का होना अनिवार्य है।
- ऑफिस में तनाव रहित माहौल का होना भी ज़रूरी है।
मगर इन बातों को ताक पर रखकर कंपनियां केवल मुनाफा कमाना चाहती हैं।
कर्मचारियों के लिए स्वस्थ माहौल क्या हो?
कंपनियों की प्रतिस्पर्धा के इस अंधे दौर में लोगों पर काम का तनाव है, जिससे वे अपनी ज़िन्दगी का सुनहरा पल गंवा रहे हैं। लोगों को स्वस्थ माहौल देने के लिए ये कदम उठाए जा सकते हैं।
- लोग तनाव रहित होकर काम करें, उसके लिए उनका वर्क लोड कम करना चाहिए।
- सप्ताह में एक दिन छुट्टी अवश्य देना चाहिए।
- लोगों को घर से काम करने की सुविधा देनी चाहिए।
- महिलाओं के लिए ज़रूरी कदम उठाए जाने चाहिए।
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