बिहार के बाघपुर गॉंव का 19 साल का सुधीर, अपनी इस छोटी उम्र में भी जातिगत भेदभाव को चुनौती देने का काम कर रहा है। सुधीर ने एक ऐसे शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज की, जो बच्चों के बीच जातिगत भेदभाव करते हुए उनपर जातिगत टिप्पणियां करते थे। सुधीर के ही एक्शन पर उस शिक्षक के खिलाफ उचित कार्यवाही की गई।
आइए आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं-

सुधीर जब 6वीं क्लास में था, तभी पैरालिसिस से उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। उसके पिता के इलाज में काफी पैसे खर्च हुए, जिससे परिवार के ऊपर काफी कर्ज़ आ गया। आर्थिक बदहाली की वजह से सुधीर की पढ़ाई बीच में ही छूट गई।
घर की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि घर के सभी सदस्यों को काम पर जाना पड़ा। घर की आर्थिक स्थिति के आगे मजबूर होकर सुधीर ने एक नर्सरी में मज़दूरी करनी शुरू कर दी।
इसी बीच एक दिन सुधीर के स्कूल के दोस्तों ने बताया कि स्कूल में जातिगत भेदभाव के खिलाफ बच्चों को जागरूक करने के लिए एक खेल “खेल से मेल” का आयोजन किया गया और उस खेल में सबने खूब मज़े भी किए और अपने अधिकारों के बारे में जाना भी। (इस खेल का आयोजन प्ले फॉर पीस संस्था द्वारा किया गया था।)
वैसे ही सुधीर स्कूल जाना चाहता था और यह बात उसे स्कूल जाने के लिए और प्रेरित करने लगी। इस बारे में सुधीर ने अपनी माँ से बात की और कहा कि स्कूल में मेरा नाम फिर से लिखवा दो, मैं पढ़ना चाहता हूं।
सुधीर के दोस्त सुधीर की मॉं को मनाने के लिए प्रकाश जी (खेल-से-मेल के ऐनीमेटर) को सुधीर के घर ले गए। प्रकाश जी के समझाने पर सुधीर की मॉं मान गईं। अब समस्या यह खड़ी हुई कि सुधीर का नाम कैसे लिखायेगा, वह 1 साल से स्कूल नहीं गया था? इस पर प्रकाश जी ने कहा, “चलिए मैं चलता हूं और सुधीर का नाम लिखवाता हूं”। इस तरह फिर से 7वीं कक्षा में सुधीर का नाम लिखवाया गया।
समता मंच में चुना गया न्याय मंत्री
सुधीर पढ़ने में अच्छा था, इसलिए *समता मंच के गठन के समय वह न्याय मंत्री चुना गया। न्याय मंत्री बनने के बाद सुधीर ने बच्चों को बाल मज़दूरी से हटाकर स्कूल में लाने के प्रयास के लिए गाँव में पपेट शो करना शुरू किया। इससे 7 बच्चों का नामांकन हुआ। सभी ने मिलकर स्कूल की समस्याओं पर भी काम किया, जैसे-शौचालय चालू कारवाना, स्कूल की लाइब्रेरी का इस्तेमाल करना, भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाना।
जातिगत कमेंट करने वाले शिक्षक के खिलाफ एक्शन
सुधीर के स्कूल में एक ब्राह्मण टीचर थे, जो बच्चों पर जाति के नाम पर हर रोज़ एक नया कमेंट करते थे। खासकर वह लड़कियों को परेशान करते थे। इसकी शिकायत सुधीर ने ज़िलाधिकारी और ज़िला शिक्षा पदाधिकारी से की और राज्यपाल को भी पोस्टकार्ड भेजा। इसके बाद उनपर एक्शन लिया गया और उस टीचर को हटाया गया।
सुधीर अभी 10वीं कक्षा में पढ़ रहा है और जिस स्कूल में पढ़ता है, वहां अधिकारों के लिए आवाज़ उठाता है।
(*समता मंच- बाल संसद में शेड्यूल कास्ट के किसी भी बच्चों को कोई लीडरशीप नहीं मिलती है, जिसकी वजह से Center For Equity and Inclusion द्वारा संसद मंच के कॉन्सेप्ट को लाया गया, जिसमें न्याय मंत्री के रूप में सुधीर (जो शेड्यूल कास्ट से आता है) को चयनीत किया गया।)
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