“क्यों मैंने सैनिटरी पैड्स छोड़कर मेंस्ट्रुअल कप यूज़ करना शुरू किया”
अगर आप तक किसी ने यह आर्टिकल पहुंचाया है, इसका मतलब उन्हें लगता है कि आप एक स्वतंत्र विचारों वाली महिला हैं जो परंपराओं को तोड़ने में यकीन रखती हैं। अगर इस आर्टिकल में आपकी दिलचस्पी बढ़ रही है तो इसका...
View Articleसुधीर की पहल पर स्कूल से निकाले गए जातिगत कमेंट करने वाले टीचर
बिहार के बाघपुर गॉंव का 19 साल का सुधीर, अपनी इस छोटी उम्र में भी जातिगत भेदभाव को चुनौती देने का काम कर रहा है। सुधीर ने एक ऐसे शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज की, जो बच्चों के बीच जातिगत भेदभाव करते हुए...
View Articleफुटबॉल के ज़रिये माहवारी के प्रति जागरूकता फैलाने वाली प्रतिमा
गौरव ग्रामीण महिला विकास मंच एक गैर सरकारी संस्था है, जो बिहार के पटना ज़िले में ज़मीनी स्तर पर बदलाव हेतु कायर्रत है। यह संस्था फुटबॉल के माध्यम से किशोरियों के शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य...
View Article“रोहित वेमुला की याद दिलाती है डॉक्टर पायल की मौत”
डॉ. पायल की मौत कई मामलों में रोहित वेमुला की मौत याद दिलाती है। बस अंतर यह है कि वहां जाति के नाम पर संस्थागत भेदभाव था और पायल की मौत के ज़िम्मेदार उसके ही कुछ सहपाठी डॉक्टर थे। कुछ ऐसे डॉक्टर जो...
View Articleमहिलाओं के लिए सुरक्षित समाज के लिए ज़रूरी है स्कूलों में सेक्स एजुकेशन
आज मेरे लिए कंसेंट का मतलब है कि अगर हम किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं, तो उसमें कंसेंट, यानि मंज़ूरी, के साथ ही कोई भी संबंध बनाना चाहिए और अगर कोई एक बार मना करता है या करती है, तो उसके कंसेंट की...
View Articleजातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए क्या सवर्ण आवाज़ उठाएंगे?
भारतीय समाज में जाति एक व्यवस्था के रूप में स्थापित है। यह व्यवस्था कई हज़ार सालों से समाज का हिस्सा है। दुनिया की अनेक मुल्कों में जाति के नाम पर समाज बटा हुआ नज़र आता है। आज के दौर में जातिवाद अपने...
View Articleबिहार की ये दलित लड़कियांं फुटबॉल खेलकर तोड़ रही हैं स्टीरियोटाइप्स
फोटो सोर्स- गौरव ग्रामीण विकास मंच बिहार फेसबुक पेज 1) पूजा पूजा एक दलित परिवार की 10वीं कक्षा की छात्रा है और अपने ग्राम पंचायत के किशोरी मंच की फुटबॉल कोच भी। अब पूजा के कठिन सफर के बारे में बताती...
View Article“दलित-आदिवासी तो गुलाम हैं, इसी मानसिकता ने डॉ. पायल को मारा है”
जब हम लोग कॉलेज जाते हैं तो ऐसे कई लोग मिलते हैं, जो सरकारी नौकरी की ख्वाहिश रखते हैं। ऐसे स्टूडेंट्स हर समुदाय से आते हैं, वे दलित समुदाय से भी होते हैं, आदिवासी समुदाय से भी होते हैं और सामान्य या...
View Article“जात-पात अब नहीं है, कहने वाले दिन में मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे हैं”
उसे ओपीडी में जाने की अनुमति नहीं थी, मरीज को छू नहीं सकती थी, “अरे तुम आरक्षण से आई हो ना” ऐसी टिप्पणियां की जाती थी, फिर क्या करती वह? कुछ दकियानूसी लोग कहते हैं, जो भी हुआ पर उसे आत्महत्या नहीं करनी...
View Articleपोल: क्या देश में जाति विहीन समाज की ज़रूरत है?
YOUTH KI AWAAZ POLL Created by NeeraJ Jha क्या देश में जातिविहीन समाज की जरूरत है ? हाँ नहीं जाति विहीन समाज के निर्माण के लिए आज एक देशव्यापी सामाजिक आंदोलन की ज़रूरत है। आज हमारे समाज में जाति की...
View Article“डॉ. पायल को मौत के रूप में अपने संवैधानिक अधिकारों की कीमत चुकानी पड़ी”
अनुसूचित जनजाति को दिए गए संवैधानिक अधिकार को प्रयोग करने की कीमत डॉक्टर पायल को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। आत्महत्या करने वाली यह लड़की कोई आम सी लड़की नहीं थी, एक डॉक्टर थी। यही विचार दिल और दिमाग को...
View Articleरोहित वेमुला और डॉ. पायल की मौत बताती है कि जाति कभी नहीं जाती
ज़रा याद कीजिये राजेश जोशी की कविता- जो इस पागलपन में शामिल नहीं होंगे, वो मारे जाएंगे कठघरे में खड़े कर दिये जाएंगे जो विरोध में बोलेंगे जो सच-सच बोलेंगे, मारे जाएंगे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि...
View Article“अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिए चालाकी से काम करता है ब्राह्मणवाद”
डॉक्टर पायल। फोटो साभार: Getty Images जाति के आधार पर एक और ज़िंदगी चली गई। भील जाति से आने वाली डॉक्टर पायल तड़वी का उन्हीं के साथ काम करने वाले लोगों ने जाति के नाम पर काफी शोषण किया, जिसके बाद कथित...
View Article“आरक्षण से घृणा जितना सरल है, इस वर्ग की पीड़ा से गुज़रना उतना ही कठिन”
सदियों से इस देश में दो भारत बसते हैं। जाति प्रथा ने इस देश को दो भारत में विभाजित किया है। ऊंची जातियों का भारत अलग और नीची जातियों का भारत अलग। दोनों के बीच की खाई भरने की जगह और गहरी होती जा रही है।...
View Article“आप तो ऊंची जाति के हो, फिर नीची जाति का पक्ष कैसे ले सकते हो?”
शीर्षक पढ़कर लग रहा होगा कि यह कैसा सवाल है लेकिन जनाब ने इसी शब्द का प्रयोग किया था। हमने स्नातक की परीक्षा पास ही कि थी और परास्नातक में दाखिला लेने निकल पड़े थे। हमने अपना रिज़र्वेशन एसी 3 में कराया...
View Article“हमारी जाति की वजह से हमें सिर्फ प्याज और मिर्च के साथ खाना मिलता था”
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम जसप्रीत सिंह है और मेरा आज का विषय है वर्तमान में जातिगत भेदभाव। 1. जातिवाद से मेरा पहला सामना- मैं एक मीडिल क्लास फैमिली से हूं, जिसकी वजह से मुझे पिता जी के साथ अमीर घरों में...
View Article“दलित होने के कारण गाँव के कुएं से हमें पानी भरने नहीं दिया जाता था”
यह कहानी बिहार के बक्सर की है। बात उस वक्त की है जब भारत, कारगिल युद्ध जीत गया था। दूरदर्शन पर रामानंद सागर की सीरियल रामायण के साथ शक्तिमान और चंद्रकांता जैसे सीरियल्स की भी धूम थी। ना बिजली होती थी,...
View Article“हम दलितों के बीच भी आपस में फैला हुआ है जातिगत भेदभाव”
मैं और मेरा दोस्त नवीन, दोनों एक ही कॉलेज में साथ-साथ पढ़ते थे। धीरे-धीरे हम अच्छे दोस्त बन गए। इसी बीच यह भी पता चल गया कि दोनों एक ही जाति से ताल्लुक रखते हैं। दोनों की विचारधारा भी लगभग एक थी बेबाक,...
View ArticleConcerns The Modi 2.0 Cabinet Must Address Before Springing Controversial...
Now that the Cabinet has been announced and the government has formed successfully (not to forget the overwhelming victory that the public mandate has provided them), let’s take a look back at all the...
View ArticleOpinion: Politicising Dhoni’s Badge Incident Is Wrong
The best thing about my country is that it’s never at dearth of news which would create chaos for no good reason. The latest to join this segment is the controversy that arose on Dhoni’s gloves, at the...
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