Quantcast
Channel: Campaign – Youth Ki Awaaz
Viewing all articles
Browse latest Browse all 3094

जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए क्या सवर्ण आवाज़ उठाएंगे?

$
0
0

भारतीय समाज में जाति एक व्यवस्था के रूप में स्थापित है। यह व्यवस्था कई हज़ार सालों से समाज का हिस्सा है। दुनिया की अनेक मुल्कों में जाति के नाम पर समाज बटा हुआ नज़र आता है। आज के दौर में जातिवाद अपने चरम पर है, जहां समाज का एक हिस्सा दूसरे का शोषण करता है।

भारत में 19वीं सदी की शुरुआत से ही जाति व्यवस्था के खिलाफ अभियान चलाए गए। डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर ने अगले शतक में इसे जन आंदोलन में बदल दिया। कालाराम मंदिर प्रवेश जैसी घटनाएं इस बात की गवाही देती है।

स्वतंत्र भारत में जातिगत आरक्षण लागू किया गया मगर हमें इस बात को समझना चाहिए कि आरक्षण पिछड़े आदिवासी एवं अछूत समाज को सरकार द्वारा मुख्यधारा में लाने के लिए किया गया छोटा सा प्रयास है। यह कोई गरीबी हटाओ कार्यक्रम नहीं है। आरक्षण की अपनी मर्यादा होती है।

हमें सोचना होगा कि 250 साल की लड़ाई के बाद हम कहां पर खड़े हैं। यह नहीं कहा जा सकता कि जातिवाद का पूरी तरह से खात्मा हो चुका है, बल्कि हम जाति व्यवस्था में सेंध लगाने में कामयाब रहे हैं। सामाजिक रूप से पिछड़ा हुआ समाज नए-नए अवसर ढूंढ रहा है।

देश के महानगरों में जातिगत भेदभाव बैकफुट पर नज़र आता है। यह अलग बात है कि सरकारी दफ्तर में जाते ही वह कुछ वक्त के लिए बाहर आ जाता है। एससी, एसटी और ओबीसी हर किसी को प्रमाणपत्र के ज़रिये राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल रहा है।

सामाजिक और आर्थिक पैमानों पर स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। लोगों को व्यक्तिगत संबंध और सार्वजनिक जगह पर जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में आपका चुप हो जाना जातिवादी ताकतों को और हिम्मत देता है। इसलिए अपने साथ हो रहे जातीय भेदभाव के खिलाफ आवाज़ उठाइए।

जातिवाद
फोटो साभार: Getty Images

दुनियाभर में यह देखा गया है कि भेदभाव के खिलाफ जो सफलता हाथ लगी है, वहां पर जिनके साथ भेदभाव की घटनाएं होती हैं, उन्होंने खुद को भेदभाव विरोधी अभियान का हिस्सा बनाया है। एकदम शुरुआत में तो ऐसा नहीं हुआ मगर जैसे-जैसे भेदभाव विरोधी विचार प्रबल होते गए, वैसे-वैसे यह आंदोलन समाज में सर्वसमावेशी हो गया।

भारत में जातिगत भेदभाव मिटाने के लिए अब पिछड़ों के साथ-साथ तथाकथित उच्च वर्गीय एवं सवर्णों को भी जाति विरोधी अभियान का हिस्सा बनना पड़ेगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि क्या उच्च वर्गीय सवर्ण ऐसा कर पाएंगे?

The post जातिगत भेदभाव खत्म करने के लिए क्या सवर्ण आवाज़ उठाएंगे? appeared first and originally on Youth Ki Awaaz and is a copyright of the same. Please do not republish.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 3094

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>