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“हमारी जाति की वजह से हमें सिर्फ प्याज और मिर्च के साथ खाना मिलता था”

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नमस्कार दोस्तों मेरा नाम जसप्रीत सिंह है और मेरा आज का विषय है वर्तमान में जातिगत भेदभाव।

1. जातिवाद से मेरा पहला सामना-

मैं एक मीडिल क्लास फैमिली से हूं, जिसकी वजह से मुझे पिता जी के साथ अमीर घरों में जाकर काम करना पड़ता है। जब पहली बार मैं एक अमीर घर में काम करने गया तो मैंने वहां देखा कि हमारे लिए खाने-पीने के बर्तन अलग थे, जो कि साफ भी नहीं थे।

उन बर्तनों को मेरे जैसे घरों के लड़कों, बुज़ुर्गों को साफ करना पड़ता है। इसके अलावा खाना प्याज या मिर्च के साथ मिलता है। उस वक्त मुझे जातिवाद का पहली बार पता चला।

2. जातिवाद ने मेरे जीवन को कैसे प्रभावित किया-

जैसा कि मैंने पहले भी बताया कि जातिवाद से मेरा पहला सामना तब हुआ जब मैंने अमीर घरों में काम करना शुरू किया। इसके बाद मैंने देखा कि वहां हमें हेय दृष्टी से देखा जाता था, हमारे काम के लिए कम रुपये दिए जाते थे।

इनके अलावा और भी घटनाएं हैं, जो मेरे जीवन में अल्पआयु में ही घटी। बाकि मुझे जातिवाद के बारे में किताबों से पता चला, जिन्होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया।

3. जातिवाद को कैसे खत्म किया जा सकता है-

देखिए जातिवाद प्राचीन समय से चला आ रहा है, जिसको अचानक पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है, इसलिए इसे खत्म करने के लिए थोड़ा समय लग सकता है।

जातिवाद खत्म करने के लिए पिछड़ी जातीयों को आरक्षण देकर उनको शिक्षित करने की कोशिश करना और जब उनकी स्थिति में सुधार हो जाए तब आरक्षण को हटा देना चाहिए। इस तरह की कोशिश करने पर जातिवाद को धीरे-धीरे कम किया जा सकता है।

4. क्यों होता है आरक्षण का विरोध-

आरक्षण से छोटी जाति के लोग ऊंची जाति वालों के बराबर आ जाते हैं, जिसकी वजह से ऊंची जाति वालों को लगता है कि अब हमारे घरों में काम करने वाले नहीं मिलेंगे। वे अन्य छोटी जाति के लोगों को और दबा देना चाहते हैं, जिसके कारण जातिवाद को और बढ़ावा मिल जाता है।

5. आरक्षण जातिवाद को कम करने में कारगर कैसे है?

आरक्षण जातिवाद को कम करने में मदद करता है, क्योंकि आरक्षण मिलने से उन परिवारों के बच्चों को रोज़गार मिलता है, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार आ जाता है और वे भी एक बेहतर जीवन जीने के काबिल हो पाते हैं।

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