फिल्म पैडमैन देखने के बाद से ऐसा लगा था कि माहवारी को लेकर वाकई में हमारा समाज संवेदनशील और जागरुक हो जाएगा मगर आज भी स्थितियां वैसी ही हैं। अखबारों में कई दफा लेख पढ़ता हूं कि आज भी आदिवासी इलाकों में महिलाएं माहवारी के दौरान कपड़े और राख का प्रयोग करती हैं मगर मैं अपने इलाके की बात आपको बताऊं तो हमारे ज़िले के आसपास के ग्रामीण इलाकों में ये चीज़ें आम हैं। होश संभालने के बाद से मैंने कई सराकरी...
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