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बच्चों की किताबें के लिए दिए 15 हजार, किताबों के बढ़ते दाम से परेशान अभिभावक

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अलीगढ़ में नए सत्र के आरंभ होते ही कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक सभी प्राइवेट स्कूल खुल चुके हैं। नए सत्र के शुरू होने के साथ-साथ कॉपी-किताब की दुकानों पर बच्चों का, बच्चों के अभिभावकों का जमावड़ा लगा हुआ है। जहां बच्चों के चेहरे पर नई कॉपी किताबों को लेकर एक खुशी दिखी, वहीं दूसरी ओर उनके माता-पिता बढ़ती महंगाई को लेकर चिंतित दिख रहे हैं। नए सत्र के शुरू होते ही कुछ अभिभावक हाथ में ज्ञान का भंडार लेकर तो कुछ खाली हाथ निराश होकर घर वापस लौट जाते हैं क्योंकि किताबें समाप्त हो चुकी होती हैं और वे इंतजार करते हैं फिर से किताबें आने का।

किताबों के बढ़ते दाम से परेशान अभिभावक

लोगों के विचार से आजकल किताबें गहनों के दाम पर बिक रही हैं। अभिभावक बढ़ती महंगाई से तंग होते नजर आ रहे हैं। वे कभी सरकार को दोष देते हैं तो कभी अपनी किस्मत को। उनका कहना है किताबें खरीदना हमारी मजबूरी है, चाहे कितनी भी महंगी हो। हमें अपने बच्चों को पढ़ते हुए देखना है तो हमें किताबें खरीदनी ही हैं। वे कल की चिंता करते हुए कहते हैं कि अभी हमारी पूरी तनख्वाह बच्चों की किताबों में चली जाती है। आगे चलकर शायद वह तनख्वाह भी कम पड़ जाए।

क्या कहते हैं अलीगढ़ के अभिभावक

छावनी में रहने वाले 45 वर्ष के रूप कुमार जी की दो बेटियां हैं जिनका नाम प्रतिभा और सुप्रिया है। बड़ी बेटी 10वीं व छोटी बेटी 5वीं कक्षा में है। उन्होंने बताया उनकी दोनों बेटियों की किताबें 15,000 में पड़ी। मजदूर आदमी पूरी आमदनी अगर किताबों में लगाएगा तो फिर रोटी क्या खाएगा। उनका कहना था 50% स्कूल वाले वसूलते हैं और 5% दुकानदार।

12वीं कक्षा की गार्गी सिंगल जिनकी की उम्र 17 साल है। वे कहती हैं, "योगी और मोदी के आने से हर चीज के दामों में बढ़ोतरी हुई है। सबसे ज्यादा कोविड के समय से।" उनका कहना है कि उनके पिता मामूली सी सरकारी नौकरी करते हैं, तो उनके लिए कई बार इतना ज्यादा खर्चा उठाना बहुत मुश्किल हो जाता है।

अचानक से बढ़ी महंगाई पड़ रही भारी

सुरेंद्र नगर में रहने वाले 46 वर्ष के आशीष सिंह जी चौथी कक्षा में पढ़ने वाली 9 साल की काशवी के पिताजी हैं, जिनका कहना है अचानक से इतनी महंगाई का बढ़ जाना एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति के लिए काफी दुखद है। वहीं डोरी नगर में रहने वाली 36 वर्ष की संगीता जी का बेटा 11वीं कक्षा में पढ़ता है। गरीब इंसान आखिर क्या ही बोल सकता है? बस महंगाई है यही कह सकता है। अलीगढ़ में क्वार्सी चौराहे के निकट रहने वाले 44 वर्ष के नवीन वर्मा जी जो कि 10वीं की छात्रा महक के पिताजी हैं वे कहते हैं यह महंगाई गरीब को और गरीब बना रही है जिससे हमारे पास भविष्य के लिए कुछ भी बचता नहीं दिख रहा है।

क्या कहते हैं दुकानदार

आधुनिक बुक स्टोर के दुकानदारों का किताबों की बढ़ती महंगाई को लेकर कहना है कि कागज महंगा है तो किताबें भी महंगी हैं। अभिभावकों की महंगाई की शिकायतों को लेकर कहते हैं, "सोने व जमीन के बढ़ते दामों पर वे खुश होते हैं और किताबों के दाम बढ़ने पर शिकायत करते हैं। अपने फायदे से तो हर कोई खुश होता है।"

टी आई सी बुक सेंटर के दुकानदारों का कहना है कि कागज के दामों में तेजी से बढ़ोतरी के कारण किताबों के दाम भी तेजी से बढ़े हैं। जानकारी के मुताबिक दामों में 25 से 30% तक बढ़ोतरी हुई है। वे कहते हैं कि सरकार सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाने के लिए टैक्स बढ़कर लगाती है और सरकारी कर्मचारी वक्त पर काम भी नहीं करते।


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