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“पंचों पर मुकदमे की धमकी से लेकर परिवार से लड़ाई तक, मैंने पढ़ाई के लिए सब कुछ किया”

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राधा राजसमन्द जिले के एक छोटे से गाँव में रहने वाली लड़की हैं, जिसकी शादी लगभग 10 वर्ष की उम्र में ही पास ही के एक गाँव में तय कर दी गई थी। जाहिर है कि तब राधा को शादी का मतलब भी नहीं पता था। राधा पढ़ाई में अच्छी है और वो आगे जा कर पुलिस फोर्स ज्वाइन करना चाहती थी। मगर जैसे ही राधा की उम्र 17 साल की हुई, उसके ससुराल वालों ने दबाव देना शुरू कर दिया कि अब उसे आगे पढ़ाई करने की जरूरत नहीं है। और अब उसकी शादी करनी है। बता दें कि बाल विवाह पक्का होने के बाद एक उम्र तक अक्सर बच्चियाँ अपने माँ-बाप के घर ही रहती है।

झगड़ा प्रथा से वसूली

राधा ये शादी नहीं करना चाहती थी। मगर राधा इस सगाई के रिश्ते को भी नहीं तोड़ पा रही थी क्योंकि यहाँ भी समाज का ये नियम था कि जो भी लड़का या लकड़ी सगाई या शादी को तोड़ते हैं, तो उन्हें झगड़े का पैसा सामने वाले को देना पड़ता है। राधा का परिवार काफी गरीब है। वो झगड़े का पैसा नहीं दे सकते। इस कारण वो राधा पर दबाव बनाते रहे कि वो ये शादी कर ले। जब राधा के ससुराल वाले राधा के घर आने यानि शादी की तारीख तय करने गए, तब राधा ने इस शादी के लिए साफ मना कर दिया। उसने कहा कि कि जब ये रिश्ता तय किया गया था तब ना तो वह समझदार थी और न ही उनका बेटा समझदार था। मगर अब वह यह शादी नहीं कर सकती क्योंकि वह अभी आगे पढ़ लिख कर कुछ करना चाहती है।

जब राधा ने पंचों पर की मुकदमे की बात

राधा के इस तरह से मना कर देने पर, राधा के ससुराल वालों ने समाज के पंचों से बात की और झगड़ा प्रथा के अनुसार पैसे देने की बात रखी। समाज वाले भी राधा के परिवार व् राधा पर दबाव डालने लगे। राधा के परिवार वाले भी समाज के डर से राधा को शादी के लिए राधा पर दबाव बनाने लगे। सब तरफ से निराश होकर राधा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह आगे क्या करे। अब राधा के ससुराल वालों ने और समाज वालों ने मिल कर उसकी शादी की तारीख तय कर दी। राधा ने सब से मदद मांगी मगर किसी ने भी उसकी मदद नहीं की। जैसे-जैसे राधा की शादी की तारीख नजदीक आती गई, वैसे-वैसे राधा और परेशान रहने लगी। आखिर एक दिन उसने निर्णय लिया कि वह समाज के पंचों के पास जाएगी। वह उनके पास गई और उन्हें बोला कि अगर आप लोगों ने जबरदस्ती मेरी शादी करवाने की बात की, तो मैं आप लोगों के खिलाफ मुकदमा कर दूंगी।

राधा के परिवार को पंचों ने किया बहिष्कृत

राधा की इस बात से समाज वाले काफी नाराज हुए। उन्होंने राधा के परिवार को समाज से बहिष्कृत करने का फैसला कर लिया। पर राधा के माता-पिता ने राधा को काफी समझाया, मारा। और यहाँ तक कि उसकी पढ़ाई छुड़वा दी। मगर राधा ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी बात पर डटी रही। साथ ही लगातार महिला सुरक्षा और सहायता केंद्र के काउंसलर के सम्पर्क कर अपनी बात समाज वालों तक रखती गई। समाज वाले भी ये बात अच्छी तरह से जानते थे कि अगर राधा उनके खिलाफ रिपोर्ट करती है, तो उन्हें सजा हो सकती है। साथ ही समाज के पंच अपना दबदबा भी बनाए रखना चाहते थे। इस कारण कुछ दिन समाज वालों ने दबाव बनाए रखा। अंत में आज की नई पीढ़ी है जोकि समाज की बात का कहा मानती है। और आखिरकार राधा की सगाई बिना झगड़े के पैसे दिए ही ख़त्म कर दी। आज राधा आगे की पढ़ाई कर रही है। मगर जितना हिम्मत राधा ने दिखाई उससे और कई लड़कियों को एक प्रेरणा मिलती है। और उनके लिए एक नई राह बना दी। राधा ने तो हिम्मत दिखा कर अपनी लड़ाई को जीत लिया मगर हमारे समाज में कई लड़कियां हैं जो जल्दी विवाह के कारण कई तरह की परेशानियों से घिरी रहती हैं। मगर वे उस तरह से हिम्मत नहीं दिखा पाती और उसी तरह की जिन्दगी को जीने के लिए मजबूर हैं जो समाज ने उसे दी है।


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